
“ॐ” ओम चांटिंग एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें ओम शब्द का उच्चारण किया जाता है यह एक पवित्र ध्वनि है जो हिंदू धर्म बौद्ध धर्म और जैन धर्म सिख धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है। ओम को ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनि माना जाता है इसका जाप मां की शांति आत्मा की शांति ही और सकारात्मक ऊर्जा को प्रदान करता है।
“ॐ” (ओम्) को प्रणव मंत्र कहा जाता है, जिसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और योग परंपरा में सबसे पवित्र ध्वनि माना गया है। यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि (Primordial Sound) का प्रतीक है।
जब हम “ॐ” का जप (Om Chanting) करते हैं, तो गहरी सांस लेकर आवाज़ को धीरे-धीरे “ओ—ओ—ओ—म्” के रूप में उच्चारित करते हैं।
यह तीन भागों से मिलकर बना है:
- “अ” (A) – सृष्टि की शुरुआत (जागृति) का प्रतीक
- “उ” (U) – जीवन/पालन (सपना) का प्रतीक
“म्” (M) – संहार/शांति (गहरी निद्रा या मौन) का प्रतीक
और अंत का मौन (Silence) ब्रह्मांड की अनंतता दर्शाता है।
ऐसा माना जाता है कि “ॐ”ओम किसी एक धर्म की संपत्ति नहीं है “ॐ”ओम सबका है और सार्वभौमिक है इसमें पूरा इस ओम शब्द की ध्वनि में पूरा ब्रह्मांड समय हुआ है ।
“ॐ”ओम को प्रथम ध्वनि माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मांड के भौतिक निर्णय के अस्तित्व में आने से पहले जो प्रकृति दुखी ध्वनि थी वह थी ओम की गूंज इसलिए ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा जाता है इसका मतलब यह है कि प्राचीन योगियो को पहले से पता था। ब्रह्मांड स्थाई नहीं है। जिस बारे में आज वैज्ञानिक बता रहे हैं कि ब्रह्मांड स्थाई नहीं है ।
कुछ और भी हमारे पास तू सबूत है कि ब्रह्मांड“ॐ” (ओम्) को प्रणव मंत्र कहा जाता है, जिसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और योग परंपरा में सबसे पवित्र ध्वनि माना गया है। यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि (Primordial Sound) का प्रतीक है। “ॐ” (ओम्) को प्रणव मंत्र कहा जाता है, जिसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और योग परंपरा में सबसे पवित्र ध्वनि माना गया है। यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि (Primordial Sound) का प्रतीक है।
जब हम “ॐ” का जप (Om Chanting) करते हैं, तो गहरी सांस लेकर आवाज़ को धीरे-धीरे “ओ—ओ—ओ—म्” के रूप में उच्चारित करते हैं।
यह तीन भागों से मिलकर बना है:-
- “अ” (A) – सृष्टि की शुरुआत (जागृति) का प्रतीक
- “उ” (U) – जीवन/पालन (सपना) का प्रतीक
- “म्” (M) – संहार/शांति (गहरी निद्रा या मौन) का प्रतीक
और अंत का मौन (Silence) ब्रह्मांड की अनंतता दर्शाता है।

“ॐ”ओम् चैंटिंग का उद्देश्य :-
- मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करना
- सकारात्मक ऊर्जा पैदा करना
- ध्यान और एकाग्रता को गहराई देना
- आंतरिक शांति और आध्यात्मिक जुड़ाव पान

“ॐ”ओम शब्द का महत्व :-
“ॐ”ओम शब्द का गठन वास्तविक मनुष्य जाति के सबसे महान अधिकारों में से एक है। ओम को सबसे पहले उपनिषद जो की वेदांत से जुड़ा हुआ होता है। वेदांत के लेख में वर्णित किया गया है उपनिषदों के फार्म का अलग-अलग तरह से वर्णन किया गया है जैसे कि ब्रह्मांडीय ध्वनि या रहस्य में शब्द या “ दैवीय चीजों का प्रति ज्ञान”
संस्कृत में ओम शब्द तीन अक्षरों से बना है “अ” और “उ “ “म” ।
जब हां और यू को जोड़ते हैं तो यह मिलकर ओवन अक्षर बनता है इससे कोई हैरानी ने की बात नहीं है क्योंकि यदि आप क्रमश: और उनको बार-बार दोहराते हैं तो आप देखते हैं कि इसका परिणाम और स्वाभाविक रूप से ही आती है।
प्रणव मंत्र–
इसे प्रणव मंत्र कहा गया है, क्योंकि यह सभी मंत्रों की जड़ और स्रोत है।
ब्रह्मांड की मूल ध्वनि –
माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति “ॐ” की ध्वनि से हुई। यह Primordial Sound है।
त्रिमूर्ति का प्रतीक –
- “अ” → ब्रह्मा (सृष्टि)
- “उ” → विष्णु (पालन)
“म्” → महेश (संहार/शांति)
त्रिकाल का द्योतक –
- भूतकाल (Past)
- वर्तमान (Present)
- भविष्य (Future)
योग और ध्यान में आधार –
ओम् का जप मन को स्थिर करता है, ध्यान गहरा करता है और आत्मा को शांति देता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार –
इसके उच्चारण से पूरे शरीर में कंपन (Vibration) फैलती है, जो स्वास्थ्य और मानसिक शांति देती है।
उवेदों और उपनिषदों में महिमा –
पनिषदों में इसे ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। माण्डूक्य उपनिषद पूरा “ॐ” पर ही आधारित है।
सकारात्मक शक्ति का स्रोत –
ओम् जप से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मकता बढ़ती है।
शब्दों में: ॐ सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि अस्तित्व, चेतना और ब्रह्मांड का सार है।
ऊ ओम का जाप या ध्यान करने के फायदे :
जब भी कोई व्यक्ति ओम का जाप या शब्द का उच्चारण करता है

ओम शब्द का ध्यान और जब कैसे करें :
योग के अनुसार ओम शब्द का ध्यान या इसका अर्थ और महत्व दिमाग में रखते हुए करना चाहिए क्योंकि ओम ईश्वर का प्रतिनिधि ध्वनि और प्रतीक का होता है इसलिए ओम शब्द का जाप करते हुए ईश्वर का ध्यान करना जरूरी होता है ओम शब्द का जाप करने की विधि इस प्रकार है ।
इस इस ज्ञान को करने के लिए सबसे पहले आपको आप आज जमीन पर आसन लगाकर बैठना है और भगवान शिव का ध्यान करते हुए । इसमें ध्यान लगाना है ध्यान रखिए ईश्वर का जाप करने के लिए ईश्वर को याद करना भी बहुत जरूरी होता है। जैसा कि पद्मासन सुखासन या सिद्ध आश्रम में रीड की हड्डी को सीधा और गर्दन को बिल्कुल सीधा रखें।
सबसे पहले अपनी आंखों को बंद कर ले एक गहरी सांस ली और सांस छोड़ते हुए आप चार से पांच बार यही अभ्यास करें उसके बाद आप साथ छोड़ते हुए ओम शब्द को बोलना शुरू कर दें । ओम शब्द की ध्वनि आपकी नाभि से होते हुए आपके कांत तक पहुंच कर मुंह से बाहर आती है जैसा कि यह मंत्र इतना चमत्कारी होता है अगर आप इसे ध्यान लगाते हुए इस मंत्र को करते हैं तो आपको वह बहुत सारे चमत्कार दिखेंगे। जब आप इस मंत्र को अंतिम चरण पर लेकर आते हैं तब आपको अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलनी है अपने शरीर को धीरे-धीरे ढीला करना है और ओम शब्द की ध्वनि को धीरे-धीरे बंद कर देना है और अपने शरीर को ढीला छोड़कर पूरा रिलैक्स करें।

ओम शब्द का ध्यान और जब कैसे करें : :–
ओम शब्द हमें ईश्वर की भक्ति से जोड़ता है। योग साधना में बैठकर जब हम ओम शब्द का जब करते हैं तो हमारा मन आध्यात्मिक की तरफ बढ़ता है। हमें सही रास्ता मिलता है। हमारे मन की शांति के लिए चिताओं से मुक्ति के लिए हमें आध्यात्मिक की तरफ बढ़ना चाहिए सही गलत का निर्णय लेने के लिए भी अध्यात्म की तरफ बढ़ता बढ़ताहै।
मन की शांति:-
आज के समय में मनुष्य किसी न किसी समस्याओं से जूझ रहा है मानसिक तनाव को दूर करने के लिए हमें योग का सहारा लेना चाहिए। हर व्यक्ति को प्रतिदिन 20 से 25 मिनट आपको योग करना चाहिए और ध्यान मुद्रा को लगाना चाहिए। यह हमारे मन में शांति ही को देता है और साथ ही हमें अध्यात्म की तरफ भी बढ़ता है ।
एकाग्रता में वृद्धि :–
यदि आप स्टूडेंट है और पढ़ाई कर रहे हैं आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता या आप किसी सेल्फ डिसीजन के लिए भी की कॉन्फिडेंस नहीं रखते हैं तो उसके लिए भी आपको ध्यान लगाना चाहिए ओम की चांटिंग करने से आपकी ध्यान मुद्रा बढ़ेगी और साथ ही आपको सही तरीके से एकाग्र चित्र होकर एक फैसला लेने में मदद मिलती है उसके साथ ही कि आप अगर पढ़ाई भी करते हैं तो पढ़ने के लिए क्या कुछ लोग कहते हैं कि हम पढ़ते हैं और हमारा पढ़ने में मन नहीं लगता इधर-उधर मन भटक जाता है तो उसके लिए ध्यान मुद्रा एक सबसे अच्छा आसान है जो कि आपको धार्मिक प्रवृत्ति की ओर भी बढ़ता है साथ ही ही आपको एकाग्र चित्र होकर एक जगह बैठ कर पढ़ने में भी मदद करता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार : –
जब हम योग मुद्रा में ध्यान लगाकर बैठते हैं तो उसे हमारे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है हमारी और उसके साथ ही हमारा धार्मिक की ओर ध्यान भी बढ़ता है।
श्वास नियंत्रण :–
गहरी और संतुलेंस संतुलित साथी लेने की आदत बनती है जिससे कि जिस लोगों की सांस होती है उसे बीमारी में भी आराम मिलता हैं।
तनाव से राहत :-
हार्ट रेट ऑफ़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रण रखने में मदद करती है और साथ ही हमारा जो हार्ड की प्रॉब्लम होती है उसमें भी हेल्प मिलती है।
नींद में सुधार : –
हाइपरटेंशन की वजह से कुछ लोगों को रात भर नींद नहीं आती है वह बहुत सारी बीमारियां देते जिसमें नींद कम आने लगती है उसमें आपको योग ध्यान मुद्रा लगानी चाहिए जिससे कि आपकी नींद ना आने की समस्या में बहुत आराम मिलता है लेकिन कुछ कुछ दिनों में ही नहीं कुछ लंबे समय तक लगाना होता है जिससे आपको आराम मिलना शुरू हो जाएगा।
शरीर की कंपन ऊर्जा को संतुलित करना :–
जिससे कोशिकाओं पर भी बहुत अच्छा प्रसार पड़ता है जिन लोगों के शरीर में कंपन की परेशानी होती है उनमें योग मुद्राओं का बहुत ज्यादा महत्व होता है और आप लोग करते रहेंगे तो आपकी यह कंपन करने की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
आत्मविश्वास और सकारात्मक :
यदि आप ध्यान योग मुद्रा को नियमित रूप से लगते हैं तो आप उनके आत्मविश्वर में वृद्धि होती है और ब्रह्मांड से जुड़ा महसूस करेंगे । आपके आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होने लगते हैं और आपको महसूस होने लगेगा ब्रह्मांड में चारों ओर हमारे लिए सकारात्मक ऊर्जा चल रही है ।
गले और फेफड़ों को स्वस्थ मैं सुधार :–
यदि आपको लंबे समय करने से गले और कपड़ों में कुछ समस्या है तो उसको वह दवाइयां के साथ साथ आपको योग मुद्रा का भी प्रयोग करना चाहिए यदि रोज नियमित रूप से योग करते हैं ध्यान लगाते हैं तो आप उनके गले और कपड़े की समस्याएं भी खत्म होजाती है।
Nishkarsh :-
ओम की ध्वनि सर्वप्रथम ब्रह्मांड है क्योंकि उसमें सारा ही ब्रह्मांड समय हुआ है वह सारे धर्म को जोड़ता है साथ ही की आपको वह स्वस्थ भी रखता है और धार्मिक आस्था भी बढ़ा देता है। आत्मा की शुद्धि के लिए भी ओम शब्द का उच्चारण करते रहे जिससे आप की आत्मा की शुद्धि होती है ऊं ओम शब्द का मतलब भगवान ओम शिव से जोड़ता है और साथ ही हमें योग की मुद्राओं के बारे में भी जानकारी मिलती है यदि आप रोज ध्यान मुद्रा लगते हैं तो आपके शरीर की बहुत सारी समस्याओं का समाधान धीरे-धीरे होने लगता है कुछ बच्चे कहते हैं कि जैसे उन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता तो आपको ध्यान मुद्राएं करनी चाहिए जिससे कि आपको एकाग्र चित्र होकर पढ़ने में मदद मिलती है।