जानिए क्यों रुक जाती है पैसों की बरकत और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के आसान उपाय। घर में धन-समृद्धि और सुख-शांति लाने के खास टोटके
हम सब चाहते हैं कि हमारे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और धन-समृद्धि की बरकत कभी कम न हो। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि मेहनत करने के बावजूद पैसों की कमी महसूस होती है और धन घर में टिकता नहीं है। अगर आपके जीवन में भी ऐसा हो रहा है तो इसके पीछे वास्तु दोष, ग्रह-स्थिति या हमारी छोटी-छोटी गलतियां जिम्मेदार हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि क्यों रुक जाती है पैसों की बरकत और कैसे सरल उपायों से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है।
💰 पैसों की बरकत रुकने के प्रमुख कारण
- अव्यवस्था और गंदगी – घर में फैली गंदगी और टूटे-फूटे सामान से लक्ष्मी जी नाराज़ हो जाती हैं।
- वास्तु दोष – मुख्य दरवाजे या रसोई की गलत दिशा से भी धन की कमी आती है।
- अधिक ऋण या उधारी – लगातार कर्ज में रहने से भी धन का प्रवाह रुक जाता है।
- सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोंछा – मान्यता है कि शाम के समय झाड़ू लगाने से लक्ष्मी जी घर छोड़ देती हैं।
- तिजोरी या धन स्थान का दोष – अगर तिजोरी सही दिशा में नहीं है तो धन घर में टिकता नहीं।
🌟 लक्ष्मी को घर में वापस लाने के आसान उपाय
- साफ-सफाई रखें – सुबह और शाम घर की अच्छी तरह सफाई करें। विशेषकर मुख्य द्वार को हमेशा साफ रखें और वहां दीपक जलाएं।
- श्री यंत्र की स्थापना – शुक्रवार के दिन श्री यंत्र की स्थापना करें और रोजाना उसकी पूजा करें।
- तुलसी और दीपक – रोजाना संध्या के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- कुबेर स्थान की पूजा – तिजोरी या अलमारी के स्थान पर कुबेर जी की पूजा करें और उसमें लाल कपड़े पर चांदी का सिक्का रखें।
- शुक्रवार का व्रत – मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का व्रत रखें और खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
- गाय और कन्या सेवा – नियमित रूप से गौ सेवा और कन्याओं को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है।
- मंत्र जप – रोजाना “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
🙏 निष्कर्ष
पैसों की बरकत रुकने का मतलब यह नहीं कि लक्ष्मी जी ने हमेशा के लिए घर छोड़ दिया है। बस थोड़ी सावधानी, सकारात्मक सोच और ये आसान उपाय अपनाकर आप धन-समृद्धि को फिर से अपने घर में बुला सकते हैं। याद रखें, मां लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं जहां साफ-सफाई, श्रद्धा, सेवा और संतोष होता है।
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