काल भैरव एक हिन्दू देवता है जो भगवान
शिव के एक साक्षात रूप के रूप में पूजे जाते हैं। काल भैरव का नाम “काल”
(समय) और “भैरव” (एक शिव का रूप) से मिलकर बना है, और वे समय के प्रतीक
के रूप में जाने जाते हैं। काल भैरव की पूजा और मंत्र जाप उनकी क्रोध और शांति को
प्रकट करने के लिए किए जाते हैं।

महत्वपूर्ण काल ​​भैरव मंत्र

1. काल भैरव बीज मंत्र :

भगवान कालभैरव को पंच भूतों के स्वामी
के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश शामिल हैं।
वह जीवन में सभी प्रकार की वांछित पूर्णता और जो जानकारी हमें चाहिए, वह सब प्रदान
करते हैं। सीखने और उत्कृष्टता के बीच एक अंतर है और आनंद की यह स्थिति भगवान भैरव
हमें प्रदान करते हैं।

काल भैरव बीज मंत्र हैं:

“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय
कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं” ||

 

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों ह्रीं ह्रों क्षं
क्षेत्रपालाय कालभैरवाय नमः ll

2. काल भैरव गायत्री मंत्र:

यह मंत्र महादेव के सबसे भयानक अवतार
भगवान काल भैरव का आभार व्यक्त करता है। भगवान भैरव की पूजा करने से विरोधियों पर
विजय, सांसारिक सुख और सफलता मिलती है। भगवान भैरव की पूजा करने से कष्टों और
पीड़ाओं को दूर करने में भी मदद मिलती है, विशेष रूप से असामान्य समस्याओं से जूझ
रहे लोगों के लिए यह बहुत सहायक है।

 

काल भैरव गायत्री मंत्र है:

ॐ कालाकालाय विद्महे,

 

कालातीताय धीमहि,

 

तन्नो काल भैरव प्रचोदयात् ||

 

3. काल भैरव अष्टकमी:

श्री कालभैरव अष्टक भगवान काल भैरव को
समर्पित है। आद्य शंकराचार्य जी द्वारा रचित यह दिव्य स्तोत्र भगवान कालभैरव के
विकराल और भयंकर स्वरूप की स्तुति करता है। भगवान काल भैरव का रूप उग्र और प्रचंड
है लेकिन वे बहुत ही भोले और सरल स्वभाव के हैं, वे अपने भक्तो से प्रेम करते हैं
एवं अपने भक्तों की रक्षा के लिए वे सदैव तत्पर रहते हैं।।

 

श्री काल भैरव अष्टकम हिंदी अर्थ सहित
।।

 

ॐ देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं

व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं
कृपाकरम

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ १॥

 

जिनके पवित्र चरर्णों की सेवा देवराज
इंद्र भगवान सदा करते हैं, जिन्होंने शिरोभूषण के रुप में चंद्र और सांप (सर्प) को
धारण किया है, जो दिगंबर जी के वेश में हैं और नारद भगवान आदि योगिगों का समूह
जिनकी पूजा, वंदना करते हैं, उन काशी के नाथ कालभैरव जी को मैं भजता हूं।

 

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं
त्रिलोचनम ।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥२॥

 

जो सूर्य के समान प्रकाश देने वाले हैं,
परमेश्वर भवसागर से जो तारने वाले हैं, जिनका कंठ नीला है और सांसारिक समृद्धियां
प्रदान करते हैं और जिनके नेत्र तीन हैं। जो काल के भी काल हैं और जिनका त्रिशूल
तीन लोकों को धारण करता है और जो अविनाशी हैं उस काशी के स्वामी कालभैरव को मैं
भजता हूं।

 

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम ।

भीमविक्रमं प्रभुं
विचित्रताण्डवप्रियं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे
॥३॥

 

जो अपने दोनों हाथों में त्रिशूल,
फन्दा, कुल्हाड़ी और दंड लिया करते हैं, जो सृष्टि के सृजन के कारण हैं और सांवले
रंग के हैं और आदिदेव सांसारिक रोगों से परे हैं, जिन्हें विचित्र तांडव पसंद है
उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

 

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

भक्तवत्सलं स्थितं
समस्तलोकविग्रहम ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥४॥

 

जो मुक्ति प्रदान करते हैं, शुभ, आनंद
दायक रुप धारण करते हैं, जो भक्तों से सदा प्रेम करते हैं और तीने लोकों में स्थित
हैं। जो अपनी कमर पर घंटियां धारण करते हैं उन काशी के भगवान कालभैरव को मैं भजता
हूं।

 

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥
५॥

 

जो धर्म की रक्षा करते हैं और अधर्म के मार्गों
का नाश करते हैं, कर्मों के जाल से मुक्त करते हैं। जो स्वर्ण रंग के सांप से
सुशोभित हैं उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

 

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम

मृत्युदर्पनाशनं
कराळदंष्ट्रमोक्षणं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥६॥

 

जिनके दोनों पैर रत्न जड़ित हैं, जो
इष्ट देवता और परम पवित्र हैं। जो अपने दांतों से मौत का भय दूर करते हैं उन काशी
के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

 

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं

दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥७॥

 

जिनकी हंसी की ध्वनि से कमल से उत्पन्न
ब्रह्मा की सभी कृतियों की गति रुक जाती है, जिसकी दृष्टि पड़ने से पापों का नाश
हो जाता है, जो अष्ट सिद्धियां प्रदान करते हैं और मुंड़ों की माला धारण करते हैं
उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

 

भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं

काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥८॥

 

जो भूत, प्रेतों के स्वामी हैं और विशाल
कीर्ति प्रदान करने वाले हैं, जो सत्य और नीति का रास्ता दिखाते हैं, जो जगतपति
हैं उस काशी के नाथ कालभैरव को मैं भजता हूं।

 

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं

ज्ञानमुक्तिसाधनं
विचित्रपुण्यवर्धनम ।

शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं

ते प्रयान्ति
कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम ॥९॥

 

जो काल भैरव अष्टकम का पाठ करते हैं, वो
ज्ञान और मुक्ति को प्राप्त करते हैं। पुण्य पाते हैं और मृत्यु के पश्चात शोक,
मोह, लोभ, ताप, क्रोध आदि का नाश करने वाले भागवान काल भैरव के चरणों को प्राप्त
करते हैं।।

 

काल भैरव मंत्रों का जाप करने के कई लाभ
हो सकते हैं:

 

1. भगवान की कृपा: काल भैरव के मंत्रों का जाप करने से भगवान की कृपा
प्राप्त हो सकती है और आपके जीवन में सुख, शांति और सफलता मिल सकती है।

 

2. सुरक्षा और संरक्षण: काल भैरव के मंत्रों का जाप करने से आपको
असुरक्षा और आपत्तियों से संरक्षण मिल सकता है।

 

3. मानसिक शांति: मंत्र जाप से मानसिक चिंता, तनाव और दुखों को कम किया
जा सकता है, और मानसिक शांति मिल सकती है।

 

4. सम्पूर्णता और साधना की शक्ति: काल भैरव के मंत्रों का जाप करने से
आपकी साधना शक्ति में वृद्धि हो सकती है और आपके लक्ष्यों की पूर्णता की दिशा में
मदद मिल सकती है।

 

5. आत्मा के साथ संबंध: काल भैरव के मंत्रों के जाप से आप अपनी आत्मा
के साथ गहरा जुड़ सकते हैं और अध्यात्मिक विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

 

ध्यान दें कि मंत्रों का जाप ध्यान और
श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए, और यह उपासना के अनुसार किया जाता है।

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