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5 पवित्र फूल जिनसे सभी देवी-देवता होते हैं प्रसन्न

Mayank Sri Sep 12, 2025 0
5-पवित्र फूल

5 पवित्र फूल, जो न सिर्फ़ घर को महकाते हैं बल्कि देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी दिलाते हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ फूल केवल सजावट की वस्तु नहीं, बल्कि भक्ति और आस्था का प्रतीक हैं। यहाँ हर फूल के साथ एक देवी-देवता, एक परंपरा और एक कहानी जुड़ी है। यही कारण है कि पूजा-पाठ में फूल अर्पित करना अनिवार्य माना गया है।

शास्त्रों में कहा गया है —
“पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।”
अर्थात, भगवान को प्रेम और भक्ति से अर्पित किया गया पत्र (पत्ता), पुष्प (फूल), फल या जल भी उन्हें प्रिय है।

आइए जानते हैं उन 5 खास फूलों के बारे में जिन्हें अर्पित करने से भगवान तुरंत प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।


Table of Contents

Toggle
  • कमल का फूल – पवित्रता और लक्ष्मी कृपा का प्रतीक
    • धार्मिक महत्व
  • प्रतीकात्मकता
  • पौराणिक कथा
  • दूर्वा घास – गणपति का सबसे प्रिय
    • धार्मिक महत्व
    • प्रतीकात्मकता
    • पौराणिक कथा
  • पारिजात (हरसिंगार) – कृष्ण का प्रेम फूल
    • धार्मिक महत्व
    • प्रतीकात्मकता
    • पौराणिक कथा
  • मदार (आक) का फूल – शिव कृपा का साधन
    • धार्मिक महत्व
    • प्रतीकात्मकता
    • पौराणिक कथा
  • 5. गुलाब का फूल – प्रेम और भक्ति का प्रतीक
    • धार्मिक महत्व
    • प्रतीकात्मकता
    • पौराणिक कथा
  • निष्कर्ष

कमल का फूल – पवित्रता और लक्ष्मी कृपा का प्रतीक

धार्मिक महत्व

  • कमल को माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रिय फूल माना जाता है।
  • माता लक्ष्मी सदा कमल पर विराजमान होती हैं और विष्णु जी के हाथ में भी कमल सुशोभित रहता है।
  • कमल का रंग और उसकी शुद्धता इसे सबसे पवित्र फूलों में स्थान दिलाती है।

प्रतीकात्मकता

कमल हमें यह सिखाता है कि जैसे कीचड़ में खिलकर भी वह अपनी सुंदरता और पवित्रता बनाए रखता है, वैसे ही मनुष्य को भी सांसारिक चुनौतियों और कठिनाइयों के बीच पवित्र और निर्मल रहना चाहिए।

पौराणिक कथा

पद्म पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था, तब अमृत, धन्वंतरि, लक्ष्मी और कमल का फूल प्रकट हुआ। उसी समय माता लक्ष्मी ने कमल को अपना आसन बना लिया।
मान्यता है कि यदि शुक्रवार या दीपावली की रात को माता लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित किया जाए तो घर में कभी धन और समृद्धि की कमी नहीं रहती।


दूर्वा घास – गणपति का सबसे प्रिय

धार्मिक महत्व

  • दूर्वा (हरी घास की नन्हीं-सी पत्तियाँ) गणेश जी की पूजा का सबसे आवश्यक अंग हैं।
  • गणपति को अर्पित किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • दूर्वा आरोग्य, शक्ति और दीर्घायु का प्रतीक मानी जाती है।

प्रतीकात्मकता

दूर्वा की कोमलता यह दर्शाती है कि विनम्रता और सरलता से ईश्वर प्रसन्न होते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अनलासुर नामक राक्षस ने देवताओं और ऋषियों को बहुत कष्ट दिया। तब गणेश जी ने उसे निगल लिया।
लेकिन अनलासुर के शरीर में इतनी गर्मी थी कि गणेश जी का पेट जलने लगा। तभी ऋषियों ने उन्हें दूर्वा चढ़ाई। दूर्वा की ठंडक से गणेश जी को तुरंत राहत मिली।
तभी से गणपति की पूजा में दूर्वा अर्पित करना आवश्यक हो गया।


पारिजात (हरसिंगार) – कृष्ण का प्रेम फूल

पवित्र फूल

धार्मिक महत्व

  • पारिजात को स्वर्ग का फूल कहा जाता है।
  • यह रात में खिलता है और सुबह गिर जाता है, इसलिए इसे हरसिंगार यानी “हर सुबह का आभूषण” कहा जाता है।
  • पारिजात अर्पित करने से मानसिक शांति, प्रेम और संतोष की प्राप्ति होती है।

प्रतीकात्मकता

पारिजात यह सिखाता है कि जीवन क्षणभंगुर है, इसलिए इसे प्रेम और करुणा से भर देना चाहिए।

पौराणिक कथा

महाभारत की कथा के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मिणी को पारिजात का फूल स्वर्ग से लाकर देना चाहते थे। लेकिन सत्यभामा (कृष्ण की दूसरी पत्नी) ने यह देखकर नाराज़गी जताई।
तब कृष्ण ने सत्यभामा के आंगन में पारिजात का पूरा पेड़ ही लगा दिया।
इसीलिए पारिजात को प्रेम और दांपत्य सुख का प्रतीक माना जाता है।


मदार (आक) का फूल – शिव कृपा का साधन

धार्मिक महत्व

  • भगवान शिव को मदार (आक) का फूल अत्यंत प्रिय है।
  • शिवलिंग पर इसे चढ़ाने से भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं।
  • यह वैराग्य, निडरता और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है।

प्रतीकात्मकता

मदार का फूल यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें दृढ़ रहना चाहिए।

पौराणिक कथा

शिव पुराण में उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे पी लिया। विष की ज्वाला को शांत करने के लिए देवताओं ने बेलपत्र और मदार के फूल शिवलिंग पर चढ़ाए।
इसलिए माना जाता है कि आक का फूल शिवजी की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय है।


5. गुलाब का फूल – प्रेम और भक्ति का प्रतीक

धार्मिक महत्व

  • गुलाब को देवी दुर्गा, विष्णु और कृष्ण की पूजा में अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • यह प्रेम, भक्ति और शुद्धता का प्रतीक है।
  • गुलाब की पंखुड़ियों की माला बनाकर अर्पित करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

प्रतीकात्मकता

गुलाब की सुगंध और कोमलता यह सिखाती है कि प्रेम और करुणा जीवन की सबसे बड़ी शक्ति हैं।

पौराणिक कथा

मान्यता है कि देवी दुर्गा को गुलाब चढ़ाने से भक्त के सभी भय दूर होते हैं और साहस की प्राप्ति होती है।
कृष्ण भक्त गुलाब को राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानते हैं। गुलाब चढ़ाने से हृदय में भक्ति और प्रेम की भावनाएँ प्रबल होती हैं।


निष्कर्ष

ये पाँच फूल — कमल, दूर्वा, पारिजात, मदार और गुलाब — न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि हर फूल अपने भीतर एक गहरा जीवन संदेश भी समेटे है।

  • कमल हमें सिखाता है कि गंदगी में भी पवित्रता बनाए रखी जा सकती है।
  • दूर्वा सरलता और आरोग्य का प्रतीक है।
  • पारिजात प्रेम और क्षणभंगुर जीवन की सुंदरता का संदेश देता है।
  • मदार हमें आंतरिक शक्ति और वैराग्य की याद दिलाता है।
  • गुलाब भक्ति और प्रेम का प्रतीक है।

जब हम इन्हें भक्ति-भाव से भगवान को अर्पित करते हैं, तो यह केवल फूल नहीं रहते, बल्कि ईश्वर से जुड़ने का साधन बन जाते हैं।

और भी ऐसे अद्भुत धार्मिक कथाओं के बारे में जानने के लिए —

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पवित्र फूल
Mayank Sri

Website: http://mahakaltemple.com

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