माता रानी की आरती या कहे दुर्गा आरती का महत्व बहुत गहरा है. दुर्गा माता को शक्ति, साहस और संरक्षण की देवी माना जाता है. दुर्गा आरती का पाठ या गायन करने के कई कारण हैं:

आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए : माता दुर्गा की आरती से हम उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हमें जीवन में मुश्किलों का सामना करने की शक्ति देती है.

सकारात्मकता और ऊर्जा के लिए: आरती का गायन वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करता है. इससे मन को भी शांति मिलती है.

सामुदायिक एकता के लिए: दुर्गा आरती अक्सर सामूहिक रूप से की जाती है, जो लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देती है.

धार्मिक अनुष्ठान: यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक माध्यम प्रदान करता है.

मन की शुद्धि के लिए: आरती के दौरान मन और आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे हम नकारात्मक विचारों से दूर रहते हैं.

इसलिए, दुर्गा आरती करना न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.

यहां दुर्गा आरती दिया गया है जिसे आप भगवती दुर्गा की पूजा करते समय आरती कर सकते है.

दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी .

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को .

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै .

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी .

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती .

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती .

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे .

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी .

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों .

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता . सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी .

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती .

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे .

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी .

By Mahakal

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