दुर्गा अष्टमी 2025
दुर्गा अष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यतिथि है, जो देवी दुर्गा के आठवें दिन यानी अष्टमी को आराधित करती है। यह दिन शक्ति की विजय, कष्टों का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। शारदीय नवरात्र में यह महोत्सव का सबसे मुख्य दिन होता है, जब देवी की विशेष पूजा और हवन-कीर्तन का आयोजन होता है। मासिक रूप से भी यह दिन श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है, क्योंकि मासिक दुर्गा अष्टमी से मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
दुर्गा अष्टमी 2025: तिथि और अवधि
शारदीय नवरात्र में वर्ष 2025 की दुर्गा अष्टमी 29 सितंबर, 2025 की शाम से प्रारंभ होकर 30 सितंबर, 2025 की संध्या तक रहेगी। अर्थात:
तिथि आरंभ: 29 सितंबर शाम 4:32 बजे से
तिथि समाप्ति: 30 सितंबर शाम 6:06 बजे तक
यह समय भक्तों के लिए पूजा व व्रत आरंभ करने का श्रेष्ठ अवसर है, जिसमें देवी की सटीक आराधना की जा सकती है।
शुभ मुहूर्त
इस विशेष दिन मुलाकात निम्नलिखित मान्यताप्राप्त शुभ समयों से होती है:
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:10 बजे से 2:58 बजे तक
संधि पूजन समय: शाम 5:42 बजे से 6:30 बजे तक(कुछ स्रोतों में निशिथ मुहूर्त—मध्यरात्रि 11:47 बजे से 12:35 बजे तक—भी उल्लेखित है)
ये मुहूर्त विशेष रूप से पूजन, हवन और कन्या पूजन के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माने जाते हैं।
Sandhi-Puja और अन्य विशेष मुहूर्त
Sandhi Puja अष्टमी और नवमी के संधि पर बने विशिष्ट समय—5:42 बजे से 6:30 बजे तक— सबसे प्रभावशाली माना जाता है।
कुछ अन्य स्रोतों में इसका समय थोड़ा अलग है, जैसे 6:21 PM आदि बताया गया है, इसलिए व्यक्तिगत पंचांग अवश्य देखें।
पूजा विधि (पूजा विधि और व्रत नियम)
पूजा का आरंभ सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, स्वच्छ वस्त्र और पीठ पर हल्का गंगाजल का स्पर्श करके करें। पूजा स्थल पर देवी का प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। षोडशोपचार (16 विधानों) से देवी का श्रृंगार करें—लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, दीप, धूप आदि शामिल हैं।
मन, वचन और कार्य में पवित्रता बनाये रखकर दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ जैसे मंत्रों का जाप करें। प्रसाद रूप में खीर, हलवा, फल, घर का बना भोजन, मिठाइयाँ, नारियल और फूलों का भोग अर्पित करें।
कन्या पूजन (Kanya Puja)
दुर्गा अष्टमी पर विशेष रूप से कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी की रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक आयु की एक कन्या—10 साल तक—भिन्न-भिन्न आशीर्वाद प्रदान करती है: जैसे धन, वैभव, सफलता, सौभाग्य आदि।
यह एक सामाजिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो भक्ति, सम्मान, और साझा आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
महत्त्व और आध्यात्मिक लाभ
दुर्गा अष्टमी का व्रत और पूजा कई मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक लाभों के लिए महत्वपूर्ण हैं:
1)अदृश्य बाधाओं का नाश
2)शत्रुओं पर विजय
3)जीवन में सुख, समृद्धि, शांतिपूर्ण वातावरण
4)दुर्बलों को सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति
5)देवी की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होना
मासिक दुर्गा अष्टमी – August 2025
अक्टूबर की तरह ही मासिक रूप से भी अष्टमी का व्रत मनाया जाता है। अगस्त 2025 में यह 31 अगस्त को था, जिसकी तिथि 30 अगस्त, रात 10:46 बजे से 1 सितंबर, सुबह 12:57 बजे तक थी।
ये मासिक व्रत भी उतने ही पवित्र और लाभदायक माने जाते हैं—विशेषकर नकारात्मकता से मुक्ति, सुख-शांति, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
मासिक व्रत की पूजा एवं महत्व
मासिक रूप से दुर्गा अष्टमी व्रत रखने का तरीका सरल होता है—दिवस भर व्रत रखते हुए दुर्गा माता की साधारण पूजा, रात्रि में मंत्र, भजन, प्रकाश व दीपक व आरती। इस व्रत से भी देवी की कृपा, परिवार में शांति-विकास, और आंतरिक संतोष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
दुर्गा अष्टमी, चाहे वह शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी हो या मासिक अष्टमी व्रत—दोनों ही श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक जागृति का महत्वपूर्ण अवसर हैं। सटीक शुभ मुहूर्त, भक्तिपूर्ण पूजा विधि, और कन्या पूजन से यह दिन विशेष बनता है। इस दिव्य अवसर पर माँ दुर्गा की आराधना से जीवन में सकारात्मक बदलाव, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
आप इस पवित्र पर्व को अपने परिवार, समाज और आत्मा के कल्याण हेतु दृढ़ श्रद्धा से मनाएँ—ईश्वर आप सभी को अपने आशीर्वाद से परिपूर्ण करें।
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