दुर्गा चालीसा
मां दुर्गा, जिन्हें शक्ति, भक्ति और विजय की अधिष्ठात्री देवी माना गया है, सनातन धर्म में अत्यंत पूजनीय हैं। देवी दुर्गा को “दुर्गति नाशिनी” कहा जाता है क्योंकि वे भक्तों को सभी प्रकार की विपत्तियों, भय और कष्टों से मुक्त करती हैं। मां की स्तुति और भक्ति से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सफलता मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान भी प्राप्त होता है।
इसी भक्ति को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली साधन है दुर्गा चालीसा। “चालीसा” का अर्थ है चालीस छंदों वाला स्तोत्र। दुर्गा चालीसा देवी मां की महिमा, स्वरूप और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन करती है। इसका नियमित पाठ जीवन की कठिनाइयों को दूर कर देता है और भक्त को साहस, शक्ति और समृद्धि प्रदान करता है।
दुर्गा चालीसा का पूरा पाठ (हिंदी में)
॥ दुर्गा चालीसा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लय कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलय काल सब नाश करावे ।
तुम गोरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हें ध्यावत नितवा ।
तुम्हें ध्याय महा ऋषि जितवा ॥
तुम्हें ध्याय सुर नर मुनि उमा ।
शक्ति रूप सबकी हो माया ॥
अमरपुरी अरु पति तुमरी ।
शक्ति बिना नहिं होई सृजना ॥
तुम बिन काल न होई विनाशा ।
तुम बिन काल न होई त्रासां ॥
भक्तन को पूरन करतारी ।
दुःख हरन सुख करने नारी ॥
नवरात्रे में पूजा जो कोई ।
सदा सुखी धन धानी सोई ॥
तुम बिन यज्ञ न होई अनूपा ।
तुम बिन यज्ञ न होई स्वरूपा ॥
तुम्हें ध्याय कर मन हरषावा ।
सदा शक्ति पावन सुखदावा ॥
तुम्हें ध्याय कर सब मन पावें ।
भवसागर से तर जावें ॥
तुम बिन कौन न पावै त्राता ।
तुम बिन कौन न पावै भक्ता ॥
तुम बिन कौन न हरै भवभय ।
तुम बिन कौन न दे सुखद्रव्य ॥
भवसागर में नाव तुम्हारी ।
सब सुख संपत्ति करने दारी ॥
भव भय काट करै भव त्रासां ।
भव दुख काट करै भव पासा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
॥ दोहा ॥
जो कोई पढ़ै दुर्गा चालीसा ।
होय सिद्धि साक्षात गौरीसी ॥
दुर्गा चालीसा का अर्थ और व्याख्या
दुर्गा चालीसा के छंदों में मां की महिमा और शक्ति का वर्णन है। इसका सार इस प्रकार है:
- मां दुर्गा दुखों का नाश और सुखों की वृद्धि करने वाली हैं।
- वे निराकार परम ज्योति हैं, जिनसे तीनों लोक प्रकाशित होते हैं।
- उनके स्वरूप का दर्शन भक्तों को अपार आनंद और शांति प्रदान करता है।
- वे ही संसार की पालक और संहारक शक्ति हैं।
- मां अन्नपूर्णा के रूप में अन्न और धन की दात्री हैं, वहीं प्रलय के समय संहार का कार्य भी करती हैं।
- शिवजी सहित सभी देवता, ऋषि-मुनि और भक्तजन उनकी स्तुति व ध्यान करते हैं।
- बिना शक्ति (दुर्गा) के सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार संभव नहीं है।
- मां अपने भक्तों के दुख दूर करके उन्हें सुख, धन और समृद्धि प्रदान करती हैं।
- नवरात्रि में मां की विशेष पूजा से भक्त को अनंत फल मिलता है।
- जो भक्त श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
दुर्गा चालीसा का महत्व
- आध्यात्मिक उत्थान – दुर्गा चालीसा का पाठ भक्त के मन को शुद्ध करता है और उसे ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना से भर देता है।
- मां की शक्ति की अनुभूति – यह चालीसा हमें यह अनुभव कराती है कि मां दुर्गा ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति हैं।
- नवरात्रि में विशेष महत्व – नवरात्रि के दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
- भक्त-रक्षा – मां अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करती हैं।
- धन, सुख और समृद्धि – चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि का वास होता है।
दुर्गा चालीसा के चमत्कारी लाभ
1. भय और संकट से मुक्ति
नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट और भय स्वतः दूर हो जाते हैं।
2. मानसिक शांति
मां दुर्गा का स्मरण करने से मन की चंचलता समाप्त होती है और व्यक्ति को शांति मिलती है।
3. सफलता की प्राप्ति
चालीसा का पाठ विद्यार्थियों और व्यवसायियों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इससे कार्यों में सफलता मिलती है।
4. शत्रुओं पर विजय
मां की कृपा से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
5. परिवार में सुख-शांति
नियमित पाठ से घर में कलह-क्लेश समाप्त होता है और आपसी प्रेम बढ़ता है।
6. रोगों से मुक्ति
मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को रोगों से भी मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
दुर्गा चालीसा पाठ विधि
- समय – सुबह सूर्योदय के समय या संध्या समय पाठ करना उत्तम है।
- स्थान – स्वच्छ स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पाठ करें।
- सामग्री – लाल वस्त्र, लाल पुष्प, दीपक, धूप और प्रसाद चढ़ाएं।
- नियम – पाठ हमेशा श्रद्धा और ध्यान से करें।
- आवृत्ति – रोज़ाना एक बार पाठ करना शुभ है। नवरात्रि में नौ दिन तक प्रतिदिन पाठ विशेष फलदायी होता है।
दुर्गा चालीसा और नवरात्रि
नवरात्रि के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करना विशेष महत्व रखता है। इन नौ दिनों में भक्तगण मां दुर्गा की उपासना, व्रत और जप-पूजन करते हैं। जो भक्त श्रद्धापूर्वक चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में समस्त दुख-दरिद्रता समाप्त होती है और घर में सुख, शांति और ऐश्वर्य का वास होता है।
निष्कर्ष
दुर्गा चालीसा केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि मां दुर्गा की महिमा और शक्ति का दिव्य स्रोत है। इसका पाठ करने से भक्त अपने जीवन में आने वाले हर संकट से उबर सकता है। मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को साहस, बल, बुद्धि, धन और सफलता प्राप्त होती है।
यदि आप अपने जीवन से दुख, भय और बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, तो दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ करें और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।