पुरी (ओडिशा) में स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, और इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है। यहाँ पर स्थित हनुमान जी की मूर्ति को बेड़ियों में बांधना एक बहुत ही खास और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

बेड़ी हनुमान मंदिर का महत्व और इतिहास:

  1. हनुमान जी की मूर्ति का विशिष्ट रूप: इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति को बेड़ियों (जंजीरों) में बांधकर स्थापित किया गया है। यह जंजीर हनुमान जी की नम्रता, समर्पण और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस बेड़ी का अर्थ यह है कि हनुमान जी ने अपनी अपार शक्ति को भी राम की सेवा में पूरी तरह समर्पित कर दिया है।
  2. जगन्नाथ जी के आदेश: एक और प्रमुख कथा के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने पुरी के इस क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी हनुमान जी को दी थी। इसलिए हनुमान जी को बेड़ी में बांधने का कार्य किया गया था, ताकि वह पूरी तरह समर्पित और इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उपस्थित रहें। यह मान्यता भी है कि जब भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को यह जिम्मेदारी दी, तो उन्हें बेड़ी में बांधकर पूजा गया, ताकि वह लगातार अपनी शक्ति और भक्ति से इस क्षेत्र की रक्षा करते रहें।
  3. कथा और आस्था: इस मंदिर से जुड़ी यह कथा भक्तों के दिलों में गहरी आस्था और श्रद्धा जगाती है। हनुमान जी को जंजीर में बंधा देख भक्त मानते हैं कि वह हमेशा भगवान जगन्नाथ के आदेश पर इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तैयार रहते हैं।

हनुमान जी को बेड़ी में बांधना केवल एक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक है। यह दर्शाता है कि हनुमान जी अपनी शक्ति और सामर्थ्य को सर्वोच्च उद्देश्य — भगवान राम की सेवा और धरती पर धर्म की रक्षा के लिए समर्पित करते हैं। इसे लेकर भक्तों में एक गहरी श्रद्धा है, और यह मंदिर पुरी के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देता है।

इस मंदिर की पूजा और दर्शन करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और धार्मिक बल की प्राप्ति होती है।

इसलिए हनुमान जी की मूर्ति को जंजीर से बांधना किसी प्रकार की बंदिश नहीं, बल्कि उनकी भक्ति, शक्ति और निष्ठा का प्रतीक है।

By Mahakal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *