भगवान शिव का जन्म कब और कहां हुआ था?
भगवान शिव, जिन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उनके जन्म के विषय में विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में अलग-अलग कथाएं मिलती हैं। कुछ कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का जन्म किसी विशेष समय या स्थान पर नहीं हुआ, क्योंकि वे अनादि और अनंत माने जाते हैं। इसका अर्थ है कि वे सृष्टि के आरंभ से ही विद्यमान हैं।
भगवान शिव की शादी कब हुई थी?
भगवान शिव की शादी का उल्लेख कई पुराणों में मिलता है। प्रमुख रूप से, शिव पुराण और स्कंद पुराण में उनकी विवाह की कथा विस्तार से वर्णित है। देवी सती, जो दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं, ने भगवान शिव से विवाह किया था। यह विवाह देवी सती के गहन तप और भगवान शिव की कृपा से संपन्न हुआ था।
भगवान शिव का दूसरा विवाह
देवी सती के आत्मदाह के बाद, भगवान शिव ने गहरे शोक में समय बिताया। बाद में, देवी सती ने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया, जो हिमालय और मैना की पुत्री थीं। देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया। यह विवाह भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और शिव-पार्वती की जोड़ी को आदर्श दंपति माना जाता है।
शिव और पार्वती की कहानी का महत्व
भगवान शिव और पार्वती की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि यह प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक भी है। यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्चे प्रेम और समर्पण से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।