Skip to content
  • Monday, 29 September 2025
  • 7:32 am
  • Follow Us
Bhasma Aarti & Daily Puja at Mahakal Temple
  • Home
  • Astrology
    • Free Janam Kundali
    • जानें आज का राशि फल
    • Route & Travel Guide
  • Home
  • पितृ पक्ष 2024: तिथियां, महत्व और पूजा विधि
  • Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
  • माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
  • माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
  • नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
  • नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
धार्मिक त्योहार

पितृ पक्ष 2024: तिथियां, महत्व और पूजा विधि

mahakaltemple.com Aug 11, 2024 0
person holding a brown and yellow dish

पितृ पक्ष 2024 की तिथियां

पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। 2024 में पितृ पक्ष का शुभारंभ 17 सितंबर को होगा और इसका समापन 2 अक्टूबर को महालया अमावस्या के साथ होगा। इस अवधि के दौरान विभिन्न तिथियों का विशेष महत्व होता है, और इन तिथियों के अनुसार पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है।

17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध से प्रारंभ होकर 18 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध मनाया जाएगा। इसके पश्चात द्वितीया श्राद्ध 19 सितंबर को और तृतीया श्राद्ध 20 सितंबर को होगा। इसी क्रम में चतुर्थी श्राद्ध 21 सितंबर, पंचमी श्राद्ध 22 सितंबर, और षष्ठी श्राद्ध 23 सितंबर को होंगे।

आगे बढ़ते हुए, सप्तमी श्राद्ध 24 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध 25 सितंबर, और नवमी श्राद्ध 26 सितंबर को मनाया जाएगा। इसके बाद, दशमी श्राद्ध 27 सितंबर को, एकादशी श्राद्ध 28 सितंबर को, और द्वादशी श्राद्ध 29 सितंबर को होंगे। त्रयोदशी श्राद्ध 30 सितंबर और चतुर्दशी श्राद्ध 1 अक्टूबर को मनाए जाएंगे।

अंततः महालया अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए विशेष तर्पण और पूजा की जाती है। महालया अमावस्या के दिन संपूर्ण रूप से पितरों का आभार व्यक्त किया जाता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

इन तिथियों में से प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, और इस समय के दौरान समर्पित रूप से किए गए तर्पण और श्राद्ध कर्म पितरों की आत्मा की शांति और उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायता करते हैं। इस प्रकार, पितृ पक्ष 2024 की तिथियां और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए समय पर तर्पण और श्राद्ध कर्म करने चाहिए।

पितृ पक्ष का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह अवधि विशेष रूप से पितरों यानी पुरखों के तर्पण और श्राद्ध करने के लिए समर्पित होती है। तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से श्रद्धालु अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए प्रार्थना करते हैं। इसे करने से परिवार के सदस्यों पर आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं और समृद्धि व सुख-शांति का वातावरण बनता है।

वेदों, पुराणों और अनेक धार्मिक ग्रंथों में पितृ पक्ष के महत्व का व्यापक वर्णन मिलता है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में पितरों को देवताओं के समान आदर देने की परंपरा है और उन्हें विभिन्न प्रकार के अन्न और जल अर्पित करने का विधान बताया गया है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से भाग्य में सुधार होता है और जीवन में संतुलन और शांतिमयता का वास होता है।

श्रीमद भगवद् गीता और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों में भी पितृ पक्ष का उत्कृष्ट वर्णन मिलता है, और इसे मोक्ष की प्राप्ति का साधन माना गया है। अनेक पौराणिक कथाओं में पितरों के आशीर्वाद से प्राप्त होने वाली सफलताओं और सिद्धियों का वर्णन है। यह अवधि श्रद्धालुओं के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है, जब वे अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर सकते हैं और ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और कल्याण के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

इस प्रकार, पितृ पक्ष का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व न केवल धार्मिक परंपराओं को निभाने तक सीमित है, बल्कि यह हमें हमारे पूर्वजों के प्रति कर्तव्य-बोध और सम्मान का भी एहसास कराता है। पितृ पक्ष के दौरान तर्पण और श्राद्ध करने से ना केवल दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है, बल्कि परिवार की उन्नति और खुशी में भी वृद्धि होती है।

पितृ पक्ष में करने वाले कार्य और पूजा विधि

पितृ पक्ष के दौरान कई महत्वपूर्ण विधियों का पालन किया जाता है, जिनमें श्राद्ध कर्म, तर्पण विधि और पिंडदान प्रमुख हैं। यह एक महत्वपूर्ण समय होता है जब लोग अपने पूर्वजों के तर-तार से जुड़ने और उनकी आत्माओं की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठानों का निर्वाह करते हैं। सबसे पहले, पितरों के निमित्त एक विशेष स्थान का चयन किया जाता है और वहां पर श्राद्ध कर्म संपन्न किया जाता है।

श्राद्ध कर्म की प्रमुख विधियों में तर्पण कर्म सबसे महत्वपूर्ण है। तर्पण विधि के अंतर्गत विशेष मंत्रों का जाप करते हुए पवित्र जल और चावल का अर्पण किया जाता है। पिंडदान एक और प्रमुख विधि है, जिसमें गेहूं, चावल, जौ, तिल आदि से बने पिंडों का प्रयोग किया जाता है। इन्हें पितरों को समर्पित किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले।

इस पखवाड़े में कुछ असामान्य कार्यों को करने से बचना चाहिए। जैसे कि, किसी भी प्रकार के नए काम की शुरुआत, नया वस्त्र धारण, विवाह या अन्य शुभ कार्यों का आयोजन करना वर्जित माना जाता है। यह माना जाता है कि पितृ पक्ष में इन कार्यों से बचे रहना ही उचित होता है।

श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्रियों में पंचपात्र, समिधा, जल, फूल, तुलसी सहित तुलसीदल, सरसों, तिल, जौ, चावल, दूध और पंचगव्य का प्रयोग आवश्यक होता है। इन सामग्रियों के साथ-साथ श्राद्ध मंत्रों का जाप भी किया जाता है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। श्राद्ध मंत्रों में प्रमुखत: ‘ॐ पितृभ्य: स्वधा’, ‘ॐ पितृ तर्पण’ आदि मंत्रों का उच्चारण होता है।

पितृ पक्ष एक समय है जब हमें अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का अवसर मिलता है। इस अवधि में की गई पूजा और तर्पण विधियाँ न सिर्फ उनकी आत्मा की शांति के लिए अहम मानी जाती हैं, बल्कि अपने जीवन में समृद्धि और सुख-समृद्धि हासिल करने का भी एक जरिया होती हैं।

पितृ पक्ष से जुड़े मिथक और गलत धारणाएँ

पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का समय है। इसके साथ ही, इससे जुड़े अनेक मिथक और गलत धारणाएँ भी प्रचलित हैं, जो समय के साथ जनमानस में अपनी जड़ें जमा चुकी हैं। इन मिथकों को समझने और उनकी सच्चाई का विश्लेषण करना अति आवश्यक है, ताकि पितृ पक्ष के वास्तविक महत्व और उसके सही रीति-रिवाजों को समझा जा सके।

पहला प्रसिद्ध मिथक यह है कि पितृ पक्ष के दौरान केवल पुरुष ही श्राद्ध कर सकते हैं। हालांकि, शास्त्रों में यह लिखा गया है कि श्राद्ध करने का अधिकार उन सभी सदस्यों को है जो परिवार के प्रति समर्पित होते हैं, चाहे वे महिलाएं हों या पुरुष। समाज में यह धारणा एक विकृत तथ्य के रूप में प्रचलित हो गई है और इसे सही रूप में समझना अति आवश्यक है।

दूसरा मिथक यह है कि पितृ पक्ष की रीति-रिवाजों का पालन करना केवल अशुभ कार्यों को दूर करने के लिए किया जाता है। वास्तव में, पितृ पक्ष का महत्व केवल धार्मिक कर्मकांडों में ही नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने में भी है। इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखने के बजाय, इसे परिवार की एकता और मूल्यों को संजोए रखने का प्रतीक माना जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, कुछ लोग पितृ पक्ष के दौरान गलत रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जैसे कि बलि देना या अन्य अंधविश्वासी कार्य। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोन से अनुचित है, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों के भी विपरीत है। पितृ पक्ष का सही महत्व यही है कि हम अपने पुर्वजों के प्रति सम्मान और आभारी बने रहें और सदाचार का पालन करें।

इस प्रकार, पितृ पक्ष से जुड़े मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने के लिए सही जानकारी और जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है। इससे लोग अंधविश्वास से मुक्त होकर पितरों का तर्पण सही तरीके से कर सकेंगे और भारतीय संस्कृति के इस महत्वपूर्ण समय का सही महत्व समझ सकेंगे।


ancestor festival
mahakaltemple.com

Website: http://mahakaltemple.com

Related Story
धार्मिक त्योहार
हनुमान जयंती 2025 पर गलती से भी ये काम ना करें
mahakaltemple.com Apr 6, 2025
धार्मिक त्योहार
क्या हम पीरियड्स के दौरान नवरात्रि व्रत जारी रख सकते हैं?
mahakaltemple.com Mar 19, 2025
धार्मिक त्योहार
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश महोत्सव कब से शुरू होगा? जानें तिथि, गणपति स्थापना शुभ मुहूर्त, पूजा और विसर्जन का समय
Mahakal Aug 30, 2024
धार्मिक त्योहार
जन्माष्टमी 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है? पूजन के शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय जानें
Mahakal Aug 20, 2024
धार्मिक त्योहार
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कितनी तारीख को है?
mahakaltemple.com Aug 3, 2024
धार्मिक त्योहार
गुरु पूर्णिमा महोत्सव: श्री गंगानगर के हिंदू मंदिर में गणेश पूजा
mahakaltemple.com Jul 21, 2024

Leave a Reply
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MAY HAVE MISSED
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025