🌿 परिचय
हिन्दू धर्म में पीपल का पेड़ अत्यंत पूजनीय है। इसे देववृक्ष कहा जाता है और इसके पत्ते से जुड़ी कई मान्यताएँ हैं। माना जाता है कि इस पेड़ में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का वास है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पीपल का पत्ता इतना खास क्यों है और इसे छूना क्यों अशुभ माना जाता है।
✨ पीपल का धार्मिक महत्व
- पीपल को आस्था और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है।
- यह पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, इसलिए इसे जीवनदाता भी कहा जाता है।
- पितरों की शांति के लिए पीपल की पूजा विशेष फलदायी है।
- भगवान बुद्ध ने इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था।
🌸 क्यों नहीं छूना चाहिए पीपल का पत्ता?
1. देवताओं का वास
मान्यता है कि पीपल के प्रत्येक पत्ते में देवताओं और पितृों का निवास होता है।
2. अशुभ समय
रात और शनिवार को पीपल को छूना या काटना अशुभ माना गया है।
3. श्रद्धा और वर्जना
इस वृक्ष को केवल पूजना और परिक्रमा करना शुभ माना गया है, लेकिन इसके पत्ते को तोड़ना या छूना वर्जित है।
🙏 पीपल वृक्ष की पूजा कैसे करें?
- सुबह पीपल के नीचे दीपक जलाएँ।
- 7 या 11 परिक्रमा करें और मनोकामना माँगें।
- श्रद्धा भाव से प्रणाम करें।
❌ क्या न करें
- बिना कारण इसके पत्ते न तोड़ें।
- शनिवार और रात के समय इसे छूने से बचें।
📖 निष्कर्ष
पीपल का वृक्ष धर्म, विज्ञान और अध्यात्म का संगम है। इसे पूजना शुभ है, लेकिन इसके पत्तों को छूना या तोड़ना अशुभ माना गया है।
👉 इसलिए कहा जाता है –
🌿 “पीपल को पूजिए, उसकी परिक्रमा कीजिए, पर पत्ते न तोड़िए।”
❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: क्या पीपल के पेड़ को घर में लगाना शुभ है?
👉 हाँ, इसे घर के बाहर या मंदिर के पास लगाना शुभ माना जाता है।
Q2: क्या पीपल के पत्ते को तोड़कर पूजा कर सकते हैं?
👉 शास्त्रों में बिना कारण पत्ते तोड़ने की मनाही है, लेकिन विशेष पूजा के समय अनुमति होती है।
Q3: शनिवार को पीपल की पूजा क्यों करते हैं?
👉 शनिवार को पीपल की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति और पितरों की शांति मिलती है। परिक्रमा कीजिए, पर उसे तोड़िए मत।”
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