नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित होता है। नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए विशेष माना जाता है। यह स्वरूप तपस्या, संयम और शांति का प्रतीक है। माँ ब्रह्मचारिणी के हाथों में जपमाला और कमंडल होता है, जो साधना और त्याग का द्योतक है। इस दिन की पूजा से भक्त को धैर्य, आत्मविश्वास और अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी कौन हैं?
माँ ब्रह्मचारिणी, दुर्गा जी का दूसरा स्वरूप मानी जाती हैं। उनका नाम “ब्रह्म” और “चारिणी” शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली। यह स्वरूप माता पार्वती का वह रूप है जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हाथ में जपमाला और कमंडल लिए, सरल एवं तपस्विनी वेश में माँ ब्रह्मचारिणी को शांति और त्याग की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से साधक को संयम, धैर्य और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
- माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- चंदन, अक्षत, रोली और पुष्प अर्पित करें।
- माँ को जपमाला और कमंडल विशेष प्रिय हैं, इसलिए इन्हें भी अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- भोग में शक्कर (चीनी) या मिश्री चढ़ाएँ।
- धूप-दीप जलाकर माँ की आरती करें और दिनभर संयम का पालन करें।
इस दिन का शुभ रंग
नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग लाल (Red) है।
- यह रंग ऊर्जा, शक्ति और उत्साह का प्रतीक है।
- लाल वस्त्र पहनकर पूजा करने से मानसिक शक्ति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होता है।
माँ को अर्पित करने योग्य फूल
माँ ब्रह्मचारिणी को लाल फूल अत्यंत प्रिय हैं।
- गुलाब, गुड़हल और कमल चढ़ाने से साधक को माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
मंत्र जाप से पूजा का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। दूसरे दिन निम्न मंत्र का जप करना उत्तम माना जाता है –
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥”
इस मंत्र का 108 बार जप करने से साधक के जीवन में तप, संयम और आत्मबल का संचार होता है।
प्रिय भोग
माँ ब्रह्मचारिणी को शक्कर और मिश्री का भोग विशेष रूप से प्रिय है। इसे अर्पित करने से भक्त को आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा का महत्व
- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को धैर्य और संयम प्राप्त होता है।
- वैराग्य की भावना का विकास होता है।
- जीवन के कठिन रास्तों पर साहस और आत्मबल मिलता है।
- भक्ति और साधना में सफलता प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके, सफेद फूल अर्पित कर और मिश्री का भोग लगाकर यदि भक्त सच्चे मन से माँ की उपासना करता है, तो उसे मानसिक शांति, संयम और अध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक का जीवन सरल, पवित्र और सफल बनता है।
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