नवरात्रि केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह माँ दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद को आमंत्रित करने का अवसर है। यह नौ दिन भक्तों के जीवन में खुशियाँ, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति लेकर आते हैं।
कहा जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से किया गया व्रत जीवन के दुखों को हर लेता है और खुशियों के नए द्वार खोल देता है।
अगर आप पहली बार नवरात्रि का व्रत करने जा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है – जिसमें पूजा विधि, कलश स्थापना और व्रत से जुड़ी हर जानकारी विस्तार से दी गई है।
नवरात्रि का महत्व
- यह पर्व माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना का प्रतीक है।
- नौ दिनों में माँ अपने भक्तों के कष्ट हराने के लिए पृथ्वी पर आती हैं।
- उपवास और साधना से शरीर और मन शुद्ध होते हैं।
- नवरात्रि का व्रत जीवन में शक्ति, समृद्धि और सफलता लाता है।
व्रत का संकल्प
नवरात्रि के पहले दिन स्नान करके माँ दुर्गा के समक्ष दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें।
उदाहरण संकल्प:
“हे माँ दुर्गा, मैं पूरे श्रद्धा भाव से नवरात्रि का व्रत और पूजा कर रहा/रही हूँ। मुझे शक्ति दें, मेरे दुख दूर हों और मुझे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।”
कलश स्थापना – विस्तृत विधि
कलश स्थापना नवरात्रि का सबसे पवित्र हिस्सा है। इसे माँ दुर्गा को घर आमंत्रित करने और शुभता लाने के लिए किया जाता है।
सामग्री
- मिट्टी/पीतल/तांबे का कलश
- स्वच्छ जल
- सुपारी और सिक्का
- अक्षत (चावल)
- आम्रपत्र (आम के पत्ते)
- नारियल
- कलावा (मौली)
- लाल कपड़ा
- गेहूँ या जौ के दाने
चरणबद्ध विधि
1. स्थल की तैयारी
- पूजा स्थल को साफ़ करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।
- चारों दिशाओं में दीपक जलाएँ।
2. कलश स्थापना
- कलश में स्वच्छ जल भरें।
- इसमें सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
- कलश के मुख पर आम्रपत्र रखें।
- ऊपर से नारियल रखकर लाल कपड़े में लपेटें और कलावा बाँधें।
3. पूजन सामग्री का अर्पण
- कलश के पास छोटे बर्तन में गेहूँ या जौ बो दें।
- कलश के चारों ओर दीपक, अगरबत्ती और फूल रखें।
4. मंत्र और आराधना
- कलश स्थापित करते समय “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जप करें।
व्रत रखने की विधि
- सात्विक भोजन करें – फल, दूध, साबूदाना, आलू, सिंघाड़ा आटा, कुट्टू आटे के व्यंजन।
- प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा और अनाज से परहेज़ करें।
- रोज़ सुबह और शाम स्नान कर पूजा करें।
रोज़ाना पूजा विधि
- दीपक जलाएँ।
- अगरबत्ती और धूप अर्पित करें।
- ताजे फूल और अक्षत चढ़ाएँ।
- दुर्गा चालीसा, सप्तशती या कवच का पाठ करें।
- मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जप करें।
देवी के नौ रूप
- शैलपुत्री – शक्ति और स्थिरता का प्रतीक।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम का प्रतीक।
- चंद्रघंटा – साहस और शांति।
- कूष्मांडा – सृष्टि की आदिशक्ति।
- स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा।
- कात्यायनी – दुष्टों का संहार।
- कालरात्रि – भय का नाश।
- महागौरी – पवित्रता और शांति।
- सिद्धिदात्री – सिद्धि और ज्ञान।
कन्या पूजन का महत्व, विधि और कथा
अष्टमी/नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। यह नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
महत्व
- माँ दुर्गा को कुमारी रूप में पूजा जाता है।
- नौ कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है।
- कन्या पूजन से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
विधि
- 2–10 साल तक की कन्याओं को घर बुलाएँ।
- उनके पाँव धोकर उन्हें आसन पर बैठाएँ।
- उन्हें भोजन कराएँ – पूड़ी, हलवा, चने और प्रसाद।
- चुनरी, फल, उपहार और दक्षिणा दें।
- अंत में चरण स्पर्श कर विदा करें।
कथा
कथा है कि एक भक्त ने माँ दुर्गा से प्रार्थना की कि वे उसके घर आएँ। माँ ने कहा:
“मैं कन्याओं के रूप में तेरे घर आऊँगी, मेरा सम्मान करना।“
भक्त ने कन्याओं को तुच्छ समझकर भोजन देने से इनकार किया। माँ दुर्गा अप्रसन्न हुईं और सुख-समृद्धि चली गई।
तब से परंपरा है कि अष्टमी/नवमी को कन्याओं को सम्मान और भोजन देना माँ की पूजा के समान है।
व्रत का समापन
- दशमी को कलश का विसर्जन करें।
- अंकुरित जौ को पवित्र नदी/तालाब में प्रवाहित करें।
- आरती और प्रसाद वितरण करें।
- व्रत तोड़कर सात्विक भोजन करें।
नवरात्रि से मिलने वाले लाभ
- दुखों और कष्टों का नाश।
- स्वास्थ्य और मानसिक शांति।
- परिवार में सुख-समृद्धि।
- आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि।
- आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
निष्कर्ष
नवरात्रि का व्रत केवल नियमों और परंपराओं तक सीमित नहीं है। यह एक आध्यात्मिक यात्रा है – जहाँ आप माँ दुर्गा के चरणों में अपना मन अर्पित करते हैं।
श्रद्धा से किया गया व्रत और कलश स्थापना जीवन में खुशियाँ, शक्ति और समृद्धि लाता है।
तो इस नवरात्रि आप भी माँ दुर्गा का व्रत रखकर अपने जीवन को भक्ति और शक्ति से भर दीजिए।
जय माता दी!
ज्ञान और भक्ति की और बातें जानने के लिए :
FAQ
कलश स्थापना के लिए क्या सिर्फ मिट्टी का कलश जरूरी है, या कोई भी कलश चलेगा?
किसी विशेष प्रकार का कलश जरूरी नहीं है। मिट्टी, पीतल, तांबा या स्टील का कलश इस्तेमाल किया जा सकता है। मूल बात है कि कलश स्वच्छ हो और उसमें जल, नारियल और आम्रपत्र रखा जाए।
कलश स्थापना के समय मंत्र नहीं जानते तो क्या करें?
यदि मंत्र याद नहीं हैं, तो मन से माँ दुर्गा को बुला सकते हैं। मंत्र से ज्यादा महत्वपूर्ण है आपकी श्रद्धा। आप “हे माँ दुर्गा, कृपा करें” जैसे सरल शब्दों में प्रार्थना कर सकते हैं।
व्रत और पूजा सिर्फ घर पर करना जरूरी है या मंदिर में भी कर सकते हैं?
दोनों ही संभव है। घर में पूजा करने से परिवार के साथ भक्ति का अनुभव मिलता है। मंदिर में भी कर सकते हैं, लेकिन घर में कलश स्थापना और कन्या पूजन का महत्व अधिक माना जाता है।
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