नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या चतुर्दशी पूजा भी कहा जाता है, का विशेष महत्व है। यह पर्व बुराई, आलस्य और नकारात्मकता को समाप्त कर जीवन में सकारात्मकता और प्रकाश लाने का प्रतीक है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर लोगों को अत्याचारों से मुक्त किया था।
Narak Chaturdashi 2024 Hindi – नरक चतुर्दशी 2024 की तिथि और समय
नरक चतुर्दशी इस वर्ष 30 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर की दोपहर 1:16 बजे से होगा और इसका समापन 31 अक्टूबर की दोपहर 3:52 बजे होगा।
इस समय के बीच स्नान और पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान (तेल मालिश कर स्नान) करना महत्त्वपूर्ण होता है, जिससे पापों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
- पापों से मुक्ति: मान्यता है कि इस दिन प्रातः स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आरोग्य और समृद्धि का पर्व: इस दिन पूजा के साथ दीप जलाने से जीवन में रोग और दरिद्रता दूर होती है।
- नरकासुर वध की कथा: भगवान कृष्ण ने इसी दिन दुष्ट नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। तभी से इस पर्व का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा।
नरक चतुर्दशी पर पूजा विधि
- अभ्यंग स्नान: सूर्योदय से पहले तेल मालिश कर स्नान करना शुभ होता है। यह पापों का नाश करता है।
- दीप जलाना: घर के हर कोने में दीपक जलाकर रोशनी करना अनिवार्य है, ताकि नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहें।
- भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- दीपदान: नरक चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करना पितरों की शांति के लिए लाभदायक होता है।
नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली का संबंध
नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। यह दिवाली के ठीक एक दिन पहले आती है और इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन घरों में साफ-सफाई और दीप प्रज्वलित करने की परंपरा है, जिससे समृद्धि और खुशहाली का वातावरण बनता है।
नरक चतुर्दशी पर ध्यान देने योग्य बातें
- सूर्योदय से पहले स्नान अवश्य करें।
- इस दिन दीपदान करना न भूलें।
- मन को शांत और सकारात्मक बनाए रखें, ताकि दिवाली का शुभारंभ प्रसन्नता से हो सके।
निष्कर्ष
नरक चतुर्दशी 2024 जीवन से नकारात्मकता और बुराई को समाप्त कर उसे प्रकाशमय बनाने का पर्व है। भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा, अभ्यंग स्नान, और दीप जलाने की परंपरा न केवल पापों का नाश करती है, बल्कि आरोग्य और समृद्धि भी लाती है। इस वर्ष यह पर्व 30 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा, इसलिए शुभ मुहूर्त में पूजा करना न भूलें।