गौरी पूजन: देवी पार्वती की आराधना

गौरी पूजन हिन्दू धर्म में देवी गौरी, जिन्हें माता पार्वती के रूप में भी जाना जाता है, की आराधना का पर्व है। यह पूजा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। Jyeshtha Gauri 2024 में इस पूजा का विशेष महत्व है, जब विवाहित महिलाएं सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति के लिए व्रत करती हैं। खासकर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।

ज्येष्ठ गौरी 2024 (Jyeshtha Gauri 2024) : विशेष पूजा तिथि

ज्येष्ठ गौरी 2024 (Jyeshtha Gauri 2024) पूजा का आयोजन विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के समय किया जाता है। गणेश उत्सव के दौरान घरों में ज्येष्ठा गौरी, जिन्हें महालक्ष्मी भी कहा जाता है, की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस पूजा में मां गौरी की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।

ज्येष्ठ गौरी पूजन 2024 (Jyeshtha Gauri 2024) की तिथि:

  • गौरी आवाहन (प्रतिष्ठापना): 7 सितंबर 2024
  • गौरी पूजन: 8 सितंबर 2024
  • गौरी विसर्जन: 9 सितंबर 2024

महालक्ष्मी गौरी पूजन 2024: संपन्नता और सौभाग्य की पूजा

महालक्ष्मी गौरी पूजा मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है। यह पूजा आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य के लिए की जाती है। इस पूजा का महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई और पुणे में विशेष महत्व है। महिलाएं सज-धज कर देवी लक्ष्मी की पूजा करती हैं और विशेष प्रसाद चढ़ाती हैं।

महालक्ष्मी गौरी पूजन 2024 की तिथि:

  • गौरी पूजन: 8 सितंबर 2024
  • गौरी पूजन विधि (Point-to-Point)
  • गणपति पूजन: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
  • स्नान: गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • पंचामृत स्नान: फिर उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और दोबारा गंगाजल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोछें।
  • आसन: स्नान के बाद गणेश जी को आसन पर विराजमान करें।
  • गौरी माता का आवाहन: मां गौरी को घर में आने और आसन पर विराजमान होने का आवाहन करें।
  • वस्त्र अर्पण: माता गौरी को वस्त्र अर्पण करें।
  • धूप-दीप: माता को धूप-दीप दिखाएं।
  • फूल-माला: माता को फूल-मालाएं अर्पित करें।
  • प्रसाद: माता को प्रसाद और दक्षिणा अर्पित करें।
  • मंत्र जाप: पूजन के दौरान “ॐ गौर्ये नमः” और “ॐ पार्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

गौरी पूजन का महत्व

गौरी पूजन पारिवारिक सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं इस पूजा को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करती हैं ताकि उनके परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।

निष्कर्ष:
Jyeshtha Gauri 2024 के अवसर पर, देवी गौरी की पूजा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। यह पर्व न केवल सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि परिवार की सुख-शांति के लिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन, विशेष पूजा विधि और सही समय पर माता गौरी की आराधना करने से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। इस पर्व की सही जानकारी और विधि का पालन करने से आप अपने परिवार के लिए खुशहाली और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

By Mahakal

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