प्राचीन काल में अवंतिका के नाम से विख्यात उज्जैन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अद्वितीय है। इस नगरी में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकाल उज्जैन में कैसे प्रकट हुए? इस कथा को जानकर आप इस पवित्र स्थान की महिमा को और भी गहराई से समझ पाएंगे।
पौराणिक कथा: उज्जैन में महाकाल कैसे प्रकट हुए?
उज्जैन में महाकाल कैसे प्रकट हुए (How did Mahakal appear in Ujjain) यह कथा त्रेता युग से शुरू होती है। उज्जैन में एक दुष्ट राक्षस दूषण ने वहां के लोगों का जीना दूभर कर दिया था। दूषण शिव भक्तों को परेशान करता था और उनकी पूजा में बाधा उत्पन्न करता था। दूषण के अत्याचारों से त्रस्त लोगों ने भगवान शिव की शरण ली और उनसे रक्षा की प्रार्थना की।
जानें, उज्जैन में महाकाल कैसे प्रकट हुए और उनकी महिमा
लोगों की पीड़ा देखकर भगवान शिव ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया। जब दूषण शिव भक्तों को परेशान कर रहा था, उसी समय भगवान शिव एक तेजोमय रूप में प्रकट हुए और अपने त्रिशूल से दूषण का वध कर दिया। इस घटना के बाद से भगवान शिव को यहां ‘महाकाल’ के रूप में पूजा जाने लगा। महाकालेश्वर का अर्थ है ‘समय का देवता’ या ‘मृत्यु का देवता’ और इस रूप में भगवान शिव भक्तों को मृत्यु के भय से बचाते हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना
भगवान शिव द्वारा दूषण का वध करने के बाद यहां के लोग बेहद खुश हुए और उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की और भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। यह शिवलिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है, जो काल के सभी बंधनों से मुक्ति दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त यहां आकर सच्चे मन से महाकाल की पूजा करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उज्जैन में महाकाल की महिमा
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। यहां का भव्य महाकालेश्वर मंदिर, जो ज्योतिर्लिंगों में से एक है, शिव भक्ति का प्रतीक है। इस मंदिर की आरती, जिसे ‘भस्म आरती’ कहा जाता है, विशेष रूप से प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। इस आरती के दौरान महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है, जो पूजा की एक अनूठी विधि है।
महाकाल ज्योतिर्लिंग की धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है क्योंकि यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है, जो मृत्यु का प्रतीक है। इस रूप में भगवान शिव को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।
निष्कर्ष
उज्जैन में महाकाल का प्रकट होना एक अनूठी घटना है, जो भगवान शिव की महिमा और अपने भक्तों के प्रति उनकी असीम करुणा को दर्शाती है। इस पवित्र स्थान पर आकर भक्त न केवल महाकालेश्वर के दिव्य दर्शन कर सकते हैं, बल्कि वे इस कथा के माध्यम से भगवान शिव की असीम शक्ति और कृपा का भी अनुभव कर सकते हैं। उज्जैन में महाकाल की उपस्थिति आज भी लाखों भक्तों के लिए आस्था और शक्ति का स्रोत है।