🌺 श्री हनुमान चालीसा 🌺
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥
॥ चालीसा ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक ते कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जनम हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
🌸 जय श्री राम – जय हनुमान 🌸
🌺 श्री हनुमान जी की आरती 🌺
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर कांपे।
रोग-दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि-पुत्र महा बलदायी।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।
जय-जय-जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावै।
बसि बैकुंठ परमपद पावै॥
🌺 श्री बजरंग बाण 🌺
॥दोहा॥
दोहा पाठ कीजै मन लाई।
श्री हनुमान जी को ध्याई॥
जय हनुमंत संत हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलंब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा।
सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोकी।
मारेहु लात गई सुरलोकि॥
असुर निकंदन राम दुलारे।
सियावर रामचन्द्र के प्यारे॥
सुर-बिरद हरी-हर को दुलारा।
काहुं संकट के तुरत निस्तारा॥
अंजनि-पुत्र महा बलदायी।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
जप करि तुम्हें ध्यावत मन कोई।
जन्म-मरण के कष्ट न होई॥
🔴 1. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा क्यों?
- मंगलवार का स्वामी मंगल ग्रह है, जो क्रोध, दुर्घटना, कर्ज़ और बाधाओं का कारक माना जाता है।
- हनुमान जी मंगल ग्रह के कष्ट हरने वाले देवता हैं।
- इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में साहस, बल, आत्मविश्वास बढ़ता है और शत्रु पर विजय मिलती है।
- तेल का दीपक, सिंदूर और गुड़-चना चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है।
🔴 2. हनुमान चालीसा का महत्व
- तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयाँ हैं।
- इसमें हनुमान जी की भक्ति, शक्ति और गुणों का वर्णन है।
- इसे रोज़ (विशेषकर मंगलवार/शनिवार) पढ़ने से:
✅ डर, रोग और संकट दूर होते हैं।
✅ आत्मविश्वास, भक्ति और शक्ति बढ़ती है।
✅ घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
🔴 3. हनुमान आरती
- पूजा के अंत में आरती करने से वातावरण पवित्र और ऊर्जा से भर जाता है।
- हनुमान आरती गाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
- यह भक्त और भगवान के बीच सीधा संबंध जोड़ती है।
- आरती करने से मन तुरंत प्रसन्न और शांत हो जाता है।
🔴 4. बजरंग बाण का महत्व
- बजरंग बाण बहुत शक्तिशाली स्तोत्र है।
- इसे गहन संकट, शत्रु से रक्षा, भय और बाधाओं को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है।
- इसे तभी पढ़ना चाहिए जब सचमुच बड़ी समस्या या शत्रु बाधा हो, क्योंकि इसका प्रभाव तुरंत और गहरा होता है।
- इसे श्रद्धा और शुद्धता के साथ ही पढ़ना चाहिए।
🔴 5. सुंदरकांड का महत्व
- सुंदरकांड रामचरितमानस का वह भाग है जिसमें हनुमान जी की शक्ति, वीरता और प्रभु श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति का वर्णन है।
- इसमें मुख्य प्रसंग हैं —
🔹 समुद्र लांघना
🔹 सीता माता की खोज
🔹 लंका दहन
🔹 राम संदेश देना - सुंदरकांड का पाठ करने से:
✅ हर तरह की बाधा दूर होती है।
✅ घर में सुख-समृद्धि आती है।
✅ मानसिक शांति और भक्ति की वृद्धि होती है।
✅ निष्कर्ष
👉 मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
👉 हनुमान चालीसा रोज़ पढ़ने से आत्मबल बढ़ता है।
👉 आरती से मन प्रसन्न और घर पवित्र होता है।
👉 बजरंग बाण संकट से रक्षा करता है।
👉 सुंदरकांड भक्ति, साहस और सफलता प्रदान करता है।
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