चौरचन पूजा 2024 (Chaurchan 2024), जिसे बिहार के मिथिला क्षेत्र में चौठचंद्र भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार गणेश चतुर्थी 2024 (Ganesh Chaturthi 2024) के अवसर पर होता है और इसमें चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। आइए, इस ब्लॉग में हम चौरचन पूजा के महत्व, शुभ मुहूर्त, और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानें।

1. चौरचन पूजा का महत्व (Worship of Moon) Chaurchan 2024

  • चौरचन पूजा (Chaurchan 2024 Puja) का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की पूजा  (Worship of moon) करना है, जिसे चंद्रमा को दोषमुक्त करने के लिए किया जाता है। मिथिला क्षेत्र में, इस पूजा को चंद्र देवता को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • यह पूजा मुख्यतः बिहार के मिथिला क्षेत्र में मनाई जाती है, जहां इसे चौठचंद्र कहा जाता है। इस पूजा के दौरान महिलाएं चंद्रमा की ओर मुख करके व्रत करती हैं और चंद्र देवता की आराधना करती हैं।
  • गणेश चतुर्थी 2024  (Ganesh Chaturthi 2024) के दिन यह पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस दिन गणेश जी के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है।

2. चौरचन (Chauthchandra) पूजा का शुभ मुहूर्त (चौरचन पूजा मुहूर्त)

  • चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त चतुर्थी तिथि को सूर्यास्त के बाद का समय होता है। गणेश चतुर्थी 2024 के अवसर पर, चौरचन पूजा का मुहूर्त रात को चंद्र दर्शन के समय निर्धारित होता है।
  • मिथिलांचल का लोक पर्व चौथचंद्र (चौरचन) व्रत छह सितंबर को मनाया जाएगा, यहां महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए व्रत करेंगी। शुक्रवार को दोपहर 12:18 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा। इस दिन मिथिलांचल में चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि के दौरान इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाएगा।
  • इस दिन महिलाएं सूर्यास्त के बाद चंद्रमा का दर्शन करती हैं और उनकी पूजा करती हैं। पूजा के दौरान, महिलाएं चंद्रमा को दूध, फल, और मिठाई अर्पित करती हैं।
  • मिथिला क्षेत्र में, चौठचंद्र का शुभ मुहूर्त खास महत्व रखता है और महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं।

3. गणेश चतुर्थी पूजन विधि (Ganesh Chaturthi 2024 पूजन विधि)

  • गणेश चतुर्थी 2024 के दिन गणेश जी की पूजा करने के बाद ही चौरचन पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी की पूजा विधि में सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
  • इसके बाद, गणेश जी को 21 दूर्वा, मोदक, और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं। इस पूजा में गणेश जी के 108 नामों का उच्चारण किया जाता है और अंत में आरती की जाती है।
  • पूजा के बाद, महिलाएं चौरचन पूजा के लिए चंद्रमा की ओर मुख करके चंद्र दर्शन करती हैं और उन्हें अर्पण करती हैं।

4. मिथिला में चौठचंद्र के रीति-रिवाज (Chauthchandra in Bihar, Rituals)

  • बिहार के मिथिला क्षेत्र में चौठचंद्र के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और चंद्रमा की पूजा के बाद ही भोजन करती हैं। इस दिन चंद्रमा को विशेष रूप से दूध और जल अर्पित किया जाता है।
  • चौरचन पूजा (Mithila चौठचंद्र) के दौरान महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन की पूजा विधि में पारंपरिक गीत और भजन का विशेष महत्व होता है।
  • मिथिला में चौठचंद्र का यह पर्व विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, और इसमें पूरा परिवार सम्मिलित होता है।

5. चौरचन पूजा और गणेश चतुर्थी का संबंध (Relation Between Ganesh Chaturthi 2024 and Chauthchandra)

  • चौरचन पूजा और गणेश चतुर्थी 2024 का एक महत्वपूर्ण संबंध है। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए, लेकिन चौरचन पूजा के समय यह अनिवार्य होता है।
  • इस पूजा के माध्यम से चंद्रमा को दोषमुक्त किया जाता है और उनसे सुख-शांति की कामना की जाती है। इस दिन गणेश जी और चंद्रमा की संयुक्त पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • गणेश चतुर्थी की पूजा के बाद चौरचन पूजा का आयोजन किया जाता है, जिससे पूरे परिवार में सुख और समृद्धि आती है।

चौरचन 2024  (Chauthchandra in Bihar) की पूजा का यह ब्लॉग आपको इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं से अवगत कराता है। इस पर्व में गणेश चतुर्थी 2024 (Ganesh Chaturthi 2024) और चंद्रमा की पूजा (Worship of moon) का विशेष महत्व है, जो परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए की जाती है।

By Mahakal

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