Skip to content
  • Saturday, 27 September 2025
  • 3:40 am
  • Follow Us
Bhasma Aarti & Daily Puja at Mahakal Temple
  • Home
  • Astrology
    • Free Janam Kundali
    • जानें आज का राशि फल
    • Route & Travel Guide
  • Home
  • सप्त गुरुवार का वरदान: बृहस्पति व्रत और उसकी अद्भुत कथाएँ
  • Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
  • माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
  • माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
  • नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
  • नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
news

सप्त गुरुवार का वरदान: बृहस्पति व्रत और उसकी अद्भुत कथाएँ

Mayank Sri Sep 18, 2025 0
बृहस्पति व्रत

बृहस्पति व्रत हिंदू धर्म में एक विशेष व्रत माना जाता है। यह व्रत गुरु बृहस्पति की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। बृहस्पति देव को ज्ञान, विवेक, शिक्षा, धन, संतान और परिवारिक सुख के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सम्मान, सफलता और मानसिक शांति आती है।

इस ब्लॉग में हम बृहस्पति व्रत के महत्व, नियम, और रोचक कथाओं के माध्यम से जानेंगे कि यह व्रत क्यों रखा जाता है और इसके फल क्या हैं।

Table of Contents

Toggle
  • बृहस्पति व्रत का महत्व
  • कथा 1: राजा अजातशत्रु और गुरु बृहस्पति
  • कथा 2: गरीब ब्राह्मण और बृहस्पति व्रत
  • कथा 3: बृहस्पति और सप्तर्षि
  • बृहस्पति व्रत करने की विधि
    • स्नान और शुद्धि
    • पूजा सामग्री
    • पूजा विधि
    • व्रत का आहार
    • व्रत का समापन
  • बृहस्पति व्रत के फायदे
  • निष्कर्ष
    • अंतिम संदेश:,

बृहस्पति व्रत का महत्व

बृहस्पति व्रत का मुख्य उद्देश्य है गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त करना।

  • यह व्रत ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि बढ़ाने के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
  • जो व्यक्ति इस व्रत को ईमानदारी और श्रद्धा से करता है, उसके जीवन में धन, सफलता और परिवारिक सुख आता है।
  • इसे करने से ग्रह दोष और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

व्रत विशेष रूप से सप्त गुरुवार तक लगातार किया जाता है, जिसे “सप्त गुरुवार व्रत” कहा जाता है। यदि कोई व्यक्ति सात गुरुवार नहीं रख सकता, तो कम से कम एक या तीन गुरुवार भी फलदायी माने जाते हैं।

कथा 1: राजा अजातशत्रु और गुरु बृहस्पति

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार राजा अजातशत्रु के राज्य में शनि ग्रह का दुष्प्रभाव पड़ा।
राजा के राज्य में असमय कठिनाइयाँ आने लगीं, किसान परेशान हुए और राज्य में अशांति फैल गई। राजा ने अपने दरबारी विद्वानों से परामर्श किया। सभी ने गुरु बृहस्पति की पूजा और व्रत करने की सलाह दी।

राजा ने सात गुरुवार तक व्रत रखा।

  • हर गुरुवार, उन्होंने सुबह जल्दी उठकर स्नान किया और स्वच्छ वस्त्र पहनकर बृहस्पति देव की पूजा की।
  • पूजा में उन्होंने फल, दूध, हलवा और दीपक अर्पित किया।
  • इसके साथ ही उन्होंने गुरु मंत्र का जाप किया:

ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः गुरवे नमः

व्रत और पूजा के सातवें गुरुवार के बाद, राजा को गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। शनि ग्रह का दुष्प्रभाव कम हुआ और राज्य में सुख, शांति, धन और सम्मान की वर्षा हुई।

सीख: इस कथा से हमें यह संदेश मिलता है कि गुरु बृहस्पति की कृपा और व्रत से जीवन में कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।

कथा 2: गरीब ब्राह्मण और बृहस्पति व्रत

एक अन्य कथा में एक गरीब ब्राह्मण अपने जीवन की कठिनाइयों से परेशान था। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी और संतान की इच्छा भी पूरी नहीं हो रही थी। उसने गुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए व्रत करने का निश्चय किया।

ब्राह्मण ने सात गुरुवार तक व्रत और पूजा पूरी श्रद्धा से की।

  • उसने अपने घर को साफ किया, पूजा स्थल सजाया और बृहस्पति देव की प्रतिमा के सामने दीपक और प्रसाद अर्पित किया।
  • हर गुरुवार उसने फल, दूध और हलवा का भोग अर्पित किया और गुरु मंत्र का जाप किया।

सातवें गुरुवार के बाद, ब्राह्मण के घर में धन, संतान और सुख-शांति आई। उसकी कठिनाइयाँ दूर हो गईं और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन हुआ।

सीख: ईमानदारी और श्रद्धा से किया गया व्रत अत्यंत फलदायी होता है। यह कहानी बताती है कि व्रत केवल राजा या धनी के लिए नहीं, बल्कि साधारण व्यक्ति के लिए भी जीवन बदलने वाला हो सकता है।

कथा 3: बृहस्पति और सप्तर्षि

गुरु बृहस्पति को सप्तर्षियों का गुरु माना गया है।
सप्तर्षियों के माध्यम से धर्म, ज्ञान और शिक्षा का प्रचार हुआ। जो व्यक्ति बृहस्पति व्रत करता है, उसके जीवन में विवेक, बुद्धि और सफलता का मार्ग खुलता है।

कथा अनुसार, जो लोग गुरु बृहस्पति की पूजा और व्रत करते हैं, उनके जीवन में निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि।
  2. नौकरी और व्यवसाय में सफलता।
  3. परिवार में सुख-शांति।
  4. धन और समृद्धि।
  5. मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास।

यह कथा विशेष रूप से यह समझाती है कि गुरु बृहस्पति की कृपा से व्यक्ति न केवल सांसारिक सुख प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक विकास भी करता है।

बृहस्पति व्रत करने की विधि

स्नान और शुद्धि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
  • मन को शांत रखें और किसी से विवाद न करें।

पूजा सामग्री

  • बृहस्पति देव की मूर्ति या चित्र
  • दीपक, अगरबत्ती
  • दूध, हलवा, केला
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत

पूजा विधि

  • पूजा स्थल को साफ करें।
  • थाल में बृहस्पति देव की मूर्ति या चित्र रखें।
  • दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • हल्दी, कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
  • पंचामृत से अभिषेक करें।
  • गुरु मंत्र का जाप करें: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः गुरवे नमः
  • कथा पढ़ें या सुनें।

व्रत का आहार

  • सादा भोजन करें।
  • फल, दूध, हलवा, खिचड़ी या फलाहार करें।
  • मांस, शराब और अनियमित भोजन से बचें।
  • गुड़, दूध और हलवा विशेष रूप से शुभ हैं।

व्रत का समापन

  • शाम को गुरु देव को अर्घ्य और प्रसाद अर्पित करें।
  • गरीब या जरूरतमंद को दान करें।
  • व्रत समाप्त होने पर सभी सामग्री को पहले गुरु देव को अर्पित करें, फिर ग्रहण करें।

बृहस्पति व्रत के फायदे

  1. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि।
  2. शिक्षा और नौकरी में सफलता।
  3. परिवारिक सुख-शांति और संतान सुख।
  4. धन, सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि।
  5. मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ।

निष्कर्ष

बृहस्पति व्रत एक ऐसा व्रत है, जो श्रद्धा, निष्ठा और ईमानदारी से किया जाए, तो जीवन बदलने वाला साबित होता है। इस व्रत के माध्यम से न केवल संपत्ति और सफलता मिलती है, बल्कि ज्ञान, विवेक और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

सप्त गुरुवार तक लगातार इस व्रत को करने वाले व्यक्ति पर गुरु बृहस्पति की कृपा बनी रहती है, और जीवन में हर क्षेत्र में लाभ होता है।

ध्यान दें: व्रत में अनुशासन, संयम और श्रद्धा का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अंतिम संदेश:,

यदि आप जीवन में ज्ञान, सफलता और सुख चाहते हैं, तो बृहस्पति व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत की कथा पढ़ें, पूजा विधि अपनाएं और गुरु बृहस्पति की कृपा पाएं।

धर्म, भक्ति और जीवन-मार्गदर्शन से जुड़े और लेखों के लिए :

यहाँ दबाएँ
Mayank Sri

Website: http://mahakaltemple.com

Related Story
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025
माँ ब्रह्मचारिणी
news
नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
Mayank Sri Sep 23, 2025
नवरात्रि
news
नवरात्रि का पहला दिन: करें माँ शैलपुत्री की पूजा
Mayank Sri Sep 22, 2025
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्
news
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् | ‘अयि गिरिनन्दिनी…’ आदि शंकराचार्य कृत माँ दुर्गा की स्तुति
Mayank Sri Sep 21, 2025
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
news
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
Mayank Sri Sep 21, 2025
नवरात्रि 2025
news
नवरात्रि 2025: व्रत और कलश स्थापना की पूरी विधि
Mayank Sri Sep 20, 2025
शिव
news
क्यों शिव बने नटराज: जानिए तांडव के पीछे का आध्यात्मिक संदेश
Mayank Sri Sep 19, 2025

Leave a Reply
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MAY HAVE MISSED
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025