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मां ललिता त्रिपुर सुंदरी : अद्वितीय शक्ति स्वरूपा

Pinki Mishra Sep 6, 2025 0

Table of Contents

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  • प्रस्तावना
  • ललिता त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप
  • ललिता त्रिपुर सुंदरी का दार्शनिक महत्व
  • ललिता सहस्त्रनाम का महात्म्य
  • ललिता त्रिपुर सुंदरी की उपासना
    • 1. पूजन विधि
    • 2. साधना के लाभ
  • त्रिपुर सुंदरी और श्रीचक्र
  • ललिता त्रिपुर सुंदरी से जुड़ी कथाएँ
    • 1. बंधासुर वध
    • 2. ब्रह्माण्ड की रचयिता
  • आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व
  • निष्कर्ष

प्रस्तावना

भारतीय सनातन धर्म में देवी शक्ति को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। देवी ही ब्रह्मांड की मूल कारण शक्ति हैं, जिनसे संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार होता है। इन्हीं आदिशक्ति के अनेक रूपों में से एक है मां ललिता त्रिपुर सुंदरी। इन्हें श्री विद्या उपासना की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
“ललिता” का अर्थ है – सहज, सरल और मधुर रूप से खेल करने वाली। “त्रिपुर सुंदरी” का अर्थ है – तीनों लोकों की सुंदरी, अर्थात जिनकी सुंदरता तीनों लोकों में अद्वितीय है।

मां ललिता केवल रूप-सौंदर्य की प्रतिमूर्ति ही नहीं हैं, बल्कि वे करुणा, शांति, आनंद और परम ब्रह्म की मूर्तिमान अभिव्यक्ति हैं। ललिता सहस्त्रनाम में देवी के सहस्त्र (1000) नामों का उल्लेख है, जिनमें उनके रूप, गुण, लीला, स्वरूप और तत्त्व का वर्णन मिलता है।


ललिता त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप

मां ललिता को लाल आभा से युक्त, अत्यंत दिव्य और आकर्षक स्वरूप में वर्णित किया गया है। वे श्रीचक्र नामक दिव्य मंडल में विराजमान रहती हैं। देवी के दाहिने हाथ में अंकुश, बाएँ हाथ में पाश, तीसरे हाथ में गन्ने का धनुष और चौथे हाथ में पुष्प-बाण होते हैं। ये आयुध प्रतीक हैं –

  • अंकुश – मन को नियंत्रित करने की शक्ति
  • पाश – भक्तों को अपने प्रेम से बाँधने का साधन
  • गन्ने का धनुष – कामदेव की शक्ति का प्रतीक
  • पुष्प-बाण – शुद्ध भावनाओं और प्रेम से विजय

उनकी चारों भुजाएँ जगत के संचालन की प्रतीक हैं। उनका आसन सिंहासन कहलाता है, जो स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र और ईश्वर के रूप में चार चरणों से बना हैLive Darshan।


ललिता त्रिपुर सुंदरी का दार्शनिक महत्व

मां ललिता त्रिपुर सुंदरी को आद्य विद्या और श्री विद्या कहा गया है। उनका दर्शन यह बताता है कि –

  • वे ही सृष्टि की आदिशक्ति हैं।
  • वे माया और ब्रह्म दोनों हैं।
  • वे सौंदर्य और ज्ञान की मूर्तिमान स्वरूपा हैं।
  • वे भक्तों को भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करती हैं।

आद्य शंकराचार्य ने सौंदर्य लहरी और त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र के माध्यम से उनकी महिमा का बखान किया। श्री विद्या साधना में मां ललिता की उपासना सर्वोच्च मानी जाती हैJanam Kundali।


ललिता सहस्त्रनाम का महात्म्य

ललिता सहस्त्रनाम ब्रह्माण्ड पुराण का एक अंग है। इसमें 1000 नामों के माध्यम से देवी के स्वरूप, कार्य और शक्ति का वर्णन किया गया है। सहस्त्रनाम का पाठ करने से –

  • मन की शांति मिलती है।
  • साधक के पाप नष्ट होते हैं।
  • आयु, स्वास्थ्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • साधक को अद्भुत आत्मिक शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों में कहा गया है –
“ललिता सहस्त्रनाम जप करने वाला साधक स्वयं देवी के स्वरूप में लीन हो जाता है।”


ललिता त्रिपुर सुंदरी की उपासना

1. पूजन विधि

  • प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके श्रीचक्र या देवी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएँ।
  • चंदन, पुष्प, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • “श्री मातः, श्री महाराज्ञी, श्रीमत्सिंहासनेश्वरी…” आदि नामों से सहस्त्रनाम पाठ करें।

2. साधना के लाभ

  • मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
  • पारिवारिक और सामाजिक जीवन में सामंजस्य आता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है।

त्रिपुर सुंदरी और श्रीचक्र

मां ललिता का सबसे प्रमुख साधन स्थल है श्रीचक्र। यह ब्रह्मांड की संपूर्ण शक्ति का ज्यामितीय स्वरूप है। श्रीचक्र में 9 आवरण होते हैं और प्रत्येक आवरण में देवी के विभिन्न रूप विराजमान रहते हैं। साधक जब श्रीचक्र की साधना करता है, तो वह क्रमशः बाहरी जगत से आंतरिक आत्मा तक पहुँचता है।


ललिता त्रिपुर सुंदरी से जुड़ी कथाएँ

1. बंधासुर वध

पुराणों के अनुसार एक बार बंधासुर नामक असुर ने देवताओं को पराजित कर त्रिलोक पर अधिकार कर लिया। तब देवताओं ने देवी ललिता की आराधना की। देवी ने अपने दिव्य आयुधों से बंधासुर और उसकी सेना का संहार कर देवताओं को मुक्त किया।

2. ब्रह्माण्ड की रचयिता

शास्त्रों में वर्णित है कि ललिता त्रिपुर सुंदरी ही मूल प्रकृति हैं। उन्होंने ही त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न कर सृष्टि का संचालन प्रारंभ किया।


आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व

मां ललिता की उपासना केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्राप्त करने के लिए नहीं की जाती, बल्कि यह साधना साधक को आत्मज्ञान, मोक्ष और ईश्वरत्व की ओर ले जाती है। उनके सहस्त्रनाम में बार-बार “परमेश्वरी”, “महामाया”, “परब्रह्मस्वरूपिणी” जैसे नाम आते हैं, जो संकेत करते हैं कि वे स्वयं परम ब्रह्म का मूर्त स्वरूप हैंAstrology।


निष्कर्ष

मां ललिता त्रिपुर सुंदरी सम्पूर्ण शक्ति, सौंदर्य और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे भक्तों की करुणा से रक्षा करती हैं और उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाती हैं।
उनकी उपासना से जीवन में शांति, आनंद, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
ललिता सहस्त्रनाम का नियमित जप साधक के जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाता है।

इस प्रकार, ललिता त्रिपुर सुंदरी की उपासना न केवल आध्यात्मिक साधकों के लिए सर्वोच्च साधना है, बल्कि गृहस्थ जीवन जीने वालों के लिए भी कल्याणकारी है।

Pinki Mishra

Website: http://mahakaltemple.com

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