वास्तु शास्त्र के अनुसार

भारत की प्राचीन परंपराओं में वास्तु शास्त्र का विशेष स्थान है। यह केवल घर बनाने या सजाने का विज्ञान नहीं बल्कि जीवन को संतुलित और सकारात्मक ऊर्जा से भरने का मार्ग है। कहा जाता है कि अगर घर में वास्तु दोष हो तो परिवार में तनाव, आर्थिक तंगी, मानसिक अशांति और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। वहीं, सही दिशा और नियमों के अनुसार बने घर में सुख, शांति, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि स्वतः आती है।इस लेख में हम जानेंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सुख-शांति बनाए रखने के कौन-कौन से नियम महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अपनाकर किस प्रकार जीवन को आनंदमय बनाया जा सकता है।

वास्तु शास्त्र का महत्व

  • ऊर्जा संतुलन – वास्तु शास्त्र पंचतत्व (जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी) के संतुलन पर आधारित है।
  • दिशाओं की शक्ति – हर दिशा का संबंध किसी देवता या ऊर्जा से होता है। जैसे उत्तर दिशा धन की, पूर्व दिशा स्वास्थ्य और ज्ञान की, दक्षिण दिशा शक्ति की और पश्चिम दिशा स्थिरता की।
  • मानसिक शांति – वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है जिससे मानसिक तनाव कम होता है।
  • समृद्धि और सफलता – वास्तु अनुकूल घर में लक्ष्मी कृपा बढ़ती है और कार्यों में सफलता मिलती है।

घर के प्रवेश द्वार (Main Entrance) के वास्तु नियम

1.मुख्य द्वार हमेशा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है।

2.दरवाजे के सामने जूते-चप्पल न रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है।

3.दरवाजे पर स्वस्तिक, ॐ या मंगल चिह्न बनाना शुभ होता है।

4.दरवाजा साफ-सुथरा और रोशनी से युक्त होना चाहिए।

5.मुख्य द्वार पर दरार या टूटा हुआ लकड़ी का हिस्सा न हो।

घर का ड्राइंग रूम (Living Room)

1.ड्राइंग रूम उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर दिशा में होना श्रेष्ठ है।

2.सोफ़ा और भारी फर्नीचर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।

3.कमरे में हल्के और सुखद रंगों का प्रयोग करें।

4.परिवार की खुशहाल तस्वीरें या प्रकृति की तस्वीरें लगाएँ।

5.टीवी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें।

रसोईघर (Kitchen) के वास्तु नियम

1.रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण (South-East) में होना चाहिए।

2.गैस चूल्हा दक्षिण-पूर्व की ओर मुख करके रखें।

3.पानी से जुड़ी वस्तुएँ (फ्रिज, वाटर टैंक) उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।

4.रसोई में काला रंग उपयोग न करें, हल्के रंग का प्रयोग शुभ होता है।

5.भोजन बनाते समय रसोइया पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़ा हो तो यह अधिक शुभ होता है।

शयनकक्ष (Bedroom)

1.मास्टर बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

2.सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखें।

3.पलंग कभी बीम (Beam) के नीचे न रखें।

4.शयनकक्ष में मंदिर न रखें और न ही नकारात्मक चित्र।

5.दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए हल्के गुलाबी रंग का उपयोग करें।

अध्ययन कक्ष (Study Room)

1.अध्ययन कक्ष उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

2.पढ़ाई करते समय विद्यार्थी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

3.कमरे में पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन होना चाहिए।

4.पढ़ाई की मेज के सामने दीवार पर भगवान सरस्वती, गणेश या ज्ञान का प्रतीक चित्र लगाएँ।

5.कमरे में गहरे और भारी रंगों का प्रयोग न करें।

बाथरूम और टॉयलेट

1.बाथरूम और टॉयलेट घर के उत्तर-पश्चिम (Vayavya) या पश्चिम दिशा में हों तो उत्तम है।

2.ईशान कोण (North-East) में टॉयलेट या बाथरूम बनाने से बचें।

3.इन स्थानों को हमेशा साफ-सुथरा रखें।

4.बाथरूम में टूटा हुआ नल या टंकी तुरंत ठीक कराएँ, वरना धन की हानि होती है।

5.दरवाजे हमेशा बंद रखें ताकि नकारात्मक ऊर्जा बाहर न फैले।

आँगन और बगीचा

1.घर के आँगन में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना अत्यंत शुभ है।

2.बगीचे में नीम, आम और अशोक का पेड़ अच्छा माना जाता है।

3.बगीचे या आँगन में गंदगी और सूखे पत्ते न जमा होने दें।

4.आँगन में जल का स्रोत (फव्वारा या तालाब) उत्तर दिशा में होना चाहिए।

5.घर के सामने पीपल या बड़ का पेड़ लगाने से बचना चाहिए।

घर के मंदिर का वास्तु

1.घर का मंदिर उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में होना सबसे उत्तम है।

2.भगवान की मूर्तियाँ दीवार से सटाकर न रखें, थोड़ी दूरी रखें।

3.पूजा स्थान पर गहरे रंग न करें, सफेद या हल्के रंग का प्रयोग शुभ है।

4.पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करना सबसे अच्छा होता है।

5.मंदिर के पास जूते-चप्पल या गंदगी न रखें।

सुख-शांति बनाए रखने के उपाय

1.घर में नियमित रूप से हवन और दीपक जलाएँ।

2.सुबह-शाम घंटी या शंख बजाना शुभ होता है।

3.घर के कोनों में नमक का पानी रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

4.हफ्ते में एक बार घर में गंगाजल का छिड़काव करें।

5.तुलसी और पीपल की पूजा करें।

6.सकारात्मक मंत्रों का जप करें – जैसे “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ गं गणपतये नमः”।

निष्कर्ष

वास्तु शास्त्र केवल अंधविश्वास नहीं बल्कि ऊर्जा विज्ञान है। जब घर में पंचतत्व और दिशाओं का संतुलन होता है तो मनुष्य का जीवन भी संतुलित हो जाता है। सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि पाने के लिए घर में वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना आवश्यक है।अगर घर में छोटे-छोटे सुधार किए जाएँ तो नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में खुशहाली आती है।

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