प्रस्तावना
भारतीय संस्कृति में सप्ताह के प्रत्येक दिन का संबंध किसी न किसी देवता से जुड़ा हुआ है। सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित माना गया है। शिवजी के भक्त इस दिन को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत एवं पूजा में समर्पित करते हैं। “सोम” का अर्थ चंद्रमा है, और चंद्रमा स्वयं भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित रहते हैं, इसी कारण सोमवार का दिन शिवजी के पूजन हेतु अत्यंत शुभ एवं फलदायी माना गया है।
सोमवार व्रत का पौराणिक आधारNewsletter
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सोमवार के व्रत को करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण, लिंग पुराण तथा स्कंद पुराण में इस व्रत की महिमा का विशेष वर्णन है।
- शिव पुराण में वर्णन
शिव पुराण के अनुसार, जो भक्त सोमवार के दिन व्रत रखकर शिवलिंग का अभिषेक करता है, उसे सौ यज्ञों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। - स्कंद पुराण में उल्लेख
स्कंद पुराण में कहा गया है कि सोमवार का उपवास करने से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं और जीवन में शांति आती है। यह व्रत विशेष रूप से दांपत्य सुख और संतान सुख प्रदान करने वाला माना गया है। - लिंग पुराण का महत्व
लिंग पुराण में वर्णित है कि यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा भाव से लगातार 16 सोमवार का व्रत करता है तो उसे दिव्य सुख, वैभव और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

सोमवार व्रत का आरंभ
लोकमान्यताओं के अनुसार, सोमवार व्रत का आरंभ प्राचीनकाल से ही होता आया है।
- कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर सोमवार व्रत और तप किया था।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना कर अपने कष्टों से मुक्ति पाई थी।
- इसलिए इस व्रत को मंगलकारी, संतोषकारी और कामनापूर्ति करने वाला माना जाता है।
सोमवार व्रत रखने का उद्देश्यFree Janam Kundali
सोमवार व्रत केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश छिपा है।
- अविवाहित कन्याएँ इसे आदर्श पति की प्राप्ति हेतु करती हैं।
- विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु और पारिवारिक सुख के लिए करती हैं।
- पुरुष इसे स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और सफलता के लिए करते हैं।
- जो लोग मानसिक तनाव या अशांति से गुजर रहे होते हैं, उन्हें भी इस व्रत से अद्भुत शांति प्राप्त होती है।
सोमवार व्रत की विशेषता
- यह व्रत आसान और सरल है, जिसे हर कोई कर सकता है।
- इसमें केवल सात्त्विकता और भक्ति की आवश्यकता होती है।
- इस व्रत के लिए न तो भारी-भरकम सामग्री चाहिए और न ही कोई कठिन अनुष्ठान।
- यह व्रत सभी आयु और वर्ग के लोग कर सकते हैं।
पौराणिक कथा : सोमवार व्रत
एक बार एक निर्धन ब्राह्मण और उसकी पत्नी भगवान शिव के परम भक्त थे। वे हर सोमवार व्रत करते और शिवजी की पूजा करते। शिवजी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें धन, संतान तथा यश प्रदान किया।
इस कथा का संदेश है कि शिवजी भक्त की निष्ठा और भक्ति देखकर प्रसन्न होते हैं, न कि उसकी भौतिक स्थिति देखकर।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता
आज की व्यस्त जीवनशैली में मानसिक तनाव, आर्थिक संघर्ष और पारिवारिक कलह आम हो गई है। सोमवार व्रत इन सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक माना जाता है क्योंकि –
- यह आत्मसंयम और सकारात्मक सोच को बढ़ाता है।
- शिवभक्ति मन को शांत करती है।
- नियमित रूप से उपवास करने से शरीर की शुद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

सोमवार व्रत की विधि (पूजन प्रक्रिया)
सोमवार व्रत करने वाले भक्त को प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और पवित्र मन से भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
सुबह की तैयारी
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर या पास के शिवालय जाएँ।
- मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ-मुँह धोकर पवित्रता का ध्यान रखें।
पूजन सामग्री
- जल और गंगाजल
- दूध, दही, शहद, घी, शक्कर (पंचामृत)
- बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल
- चावल, चंदन, सफेद पुष्प
- धूप, दीप और नैवेद्य
पूजन विधि
- शिवलिंग पर जल और गंगाजल से अभिषेक करें।
- दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से पंचामृत अभिषेक करें।
- पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और सफेद पुष्प अर्पित करें।
- चंदन और अक्षत चढ़ाएँ।
- दीपक और धूप जलाएँ।
- मंत्र जप करें –
- ॐ नमः शिवाय (108 बार)
- या महामृत्युंजय मंत्र।
- अंत में शिव-आरती करें और प्रसाद बाँटें।

सोमवार व्रत के नियम
- सात्त्विक भोजन करें – व्रत वाले दिन मांस, शराब, प्याज-लहसुन से परहेज़ करें।
- फलाहार – फल, दूध, सूखे मेवे, साबूदाना या उपवास के आहार ग्रहण करें।
- सत्य वचन – पूरे दिन झूठ, कटु वचन और निंदा से बचें।
- पवित्र आचरण – मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें।
- व्रत कथा श्रवण – सोमवार व्रत की कथा अवश्य सुनें।
- आरती और भजन – दिनभर भगवान शिव के भजन और कीर्तन करें।
सोमवार व्रत की प्रमुख कथाएँ
1. चंद्रदेव की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था। उन्होंने भगवान शिव की उपासना शुरू की और सोमवार का व्रत रखा। शिवजी प्रसन्न होकर उनके रोगों का नाश कर दिया। तभी से सोमवार व्रत का संबंध चंद्रमा की शांति से माना जाता है।
2. विवाह की बाधा दूर करने वाली कथा
एक बार एक कन्या ने भगवान शिव को पाने के लिए 16 सोमवार व्रत रखा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे पति रूप में स्वीकार किया। इसी कारण आज भी कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति हेतु यह व्रत करती हैं।
3. निर्धन ब्राह्मण की कथा
एक गरीब ब्राह्मण लगातार सोमवार व्रत करता रहा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे धन, संतति और वैभव प्रदान किया। इससे यह सिद्ध होता है कि सच्चे मन से किया गया व्रत कभी निष्फल नहीं जाता।
सोमवार व्रत का ज्योतिषीय महत्वLive Darshan
- ज्योतिष में सोमवार का स्वामी चंद्रमा है।
- चंद्रमा मन और जल तत्व का कारक है।
- जन्मकुंडली में चंद्रमा के अशुभ प्रभाव (जैसे मानसिक तनाव, अस्थिरता, चंद्रदोष) को दूर करने के लिए सोमवार व्रत अत्यंत फलदायी है।
- यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष या चंद्र-शनि दोष हो तो उसे सोमवार व्रत और शिवलिंग अभिषेक करने से लाभ मिलता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
भारतीय परंपरा में व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी हैं।
- स्वास्थ्य लाभ
- सोमवार को उपवास रखने से पाचन शक्ति सुधरती है।
- शरीर में विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
- जल, दूध और फल ग्रहण करने से शरीर का जल-संतुलन ठीक रहता है।
- मानसिक शांति
- चंद्रमा मन का कारक है।
- सोमवार को व्रत रखने से एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम होता है।
- शिवभक्ति मन को स्थिर करती है।
- आध्यात्मिक लाभ
- नियमित उपवास से इंद्रियों पर नियंत्रण होता है।
- व्यक्ति का ध्यान ईश्वर की ओर केंद्रित होता है।
- यह आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का मार्ग है।

सोमवार व्रत के विशेष प्रकार
- सोलह सोमवार व्रत – लगातार 16 सोमवार तक किया जाने वाला यह व्रत विवाह और संतान सुख हेतु अत्यंत फलदायी है।
- सावन सोमवार व्रत – श्रावण मास का सोमवार सबसे शुभ माना जाता है। इस महीने में जलाभिषेक का महत्व अनंत गुना बढ़ जाता है।
- प्रदोष सोमवार व्रत – जब सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ती है, तब इसका महत्व कई गुना हो जाता है।
निष्कर्षRoute & Travel Guide
सोमवार व्रत केवल भगवान शिव को प्रसन्न करने का साधन ही नहीं है, बल्कि यह भक्त को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर उन्नति प्रदान करता है। इस व्रत की विधि सरल है, परंतु इसका फल असीमित है।
जीवन को भर देता है।
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