परिचय
भारतीय वेद–पुराणों में अनेक मंत्रों का वर्णन मिलता है, लेकिन कुछ मंत्र ऐसे हैं जो विशेष रूप से मानव जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं। इन्हीं में से एक है महामृत्युंजय मंत्र। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे “त्र्यम्बक मंत्र” भी कहा जाता है। इसकी शक्ति इतनी प्रबल है कि इसे “संजीवनी मंत्र” तक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि इस मंत्र के नियमित जाप से असाध्य रोगों से मुक्ति, भय का नाश, आयु में वृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

महामृत्युंजय मंत्र क्या है?Newsletter
महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
- ॐ – ब्रह्म का मूल स्वर, सम्पूर्ण सृष्टि का बीज।
- त्र्यम्बकं – तीन नेत्रों वाले भगवान शिव।
- यजामहे – हम पूजन करते हैं, साधना करते हैं।
- सुगन्धिं – जो अपने गुणों से सबको आकर्षित करते हैं।
- पुष्टिवर्धनम् – जो जीवन, बल, ऊर्जा और स्वास्थ्य बढ़ाते हैं।
- उर्वारुकमिव – जैसे बेल या खरबूजा पककर डंठल से स्वतः अलग हो जाता है।
- बन्धनात् – जन्म–मरण के बंधन से।
- मृत्योः मुक्षीय – मृत्यु से मुक्ति मिले।
- मा अमृतात् – और हमें अमरत्व की प्राप्ति हो।

मंत्र की उत्पत्ति
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में मिलता है। इसे ऋषि मार्कण्डेय को माता पार्वती के वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ था। कथा है कि जब देवताओं पर असुरों का संकट बढ़ गया और असमय मृत्यु का भय मंडराने लगा, तब भगवान शिव ने यह दिव्य मंत्र प्रदान किया।
मंत्र का आध्यात्मिक महत्व
- यह मंत्र मृत्यु के भय को दूर करता है।
- साधक को आत्मा की अमरता का बोध कराता है।
- यह बताता है कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत है।
- भगवान शिव के तीन नेत्र – भूत, वर्तमान और भविष्य पर नियंत्रण का प्रतीक हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप के लाभEmergency Helpline Numbers
1. स्वास्थ्य लाभ
- असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाता है।
- मानसिक तनाव और अवसाद कम करता है।
- शरीर में नई ऊर्जा और बल का संचार करता है।
2. मानसिक और आत्मिक शांति
- भय और चिंता को समाप्त करता है।
- साधक को ध्यान और योग में स्थिरता प्रदान करता है।
- आत्मविश्वास और सकारात्मकता बढ़ाता है।
3. आयु वृद्धि और रोग निवारण
- अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
- दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।
- रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ में सहायक है।
4. परिवार और गृहस्थ जीवन में लाभ
- परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है।
- पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता लाता है।
- संतान सुख और परिवार की रक्षा करता है।
जाप की विधि
- शुद्धता का ध्यान – मंत्र जाप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान – शिवलिंग के सामने, शांत और पवित्र स्थान पर बैठें।
- आसन – कुशासन, कमलगट्टे या ऊन के आसन का प्रयोग करें।
- माला – रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
- गणना – प्रतिदिन 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
- समय – प्रातः ब्रह्ममुहूर्त का समय सबसे उत्तम है।
- भावना – श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें।

मंत्र का रहस्य – मृत्यु से मुक्ति
मंत्र में “उर्वारुकमिव बन्धनान्” शब्द अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ है कि जैसे खरबूजा पक जाने पर बेल से सहजता से अलग हो जाता है, वैसे ही साधक मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर आत्मिक अमरत्व प्राप्त करता है।
महामृत्युंजय मंत्र और आधुनिक जीवनमहाकाल महालोक : 47 हेक्टेयर में फैला आध्यात्मिक वैभव और कला
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह मंत्र अत्यंत प्रासंगिक है।
- तनाव, अवसाद और भय से ग्रसित व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
- असुरक्षा और आकस्मिक मृत्यु के भय को कम करता है।
- यह मंत्र केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक “माइंड हीलिंग” और “स्पिरिचुअल थेरेपी” में भी उपयोगी है।
किसे और कब जाप करना चाहिए?
- रोगी के स्वास्थ्य लाभ हेतु।
- संतान की लंबी आयु और रक्षा के लिए।
- जीवन के कठिन समय में साहस और धैर्य के लिए।
- यात्रा से पूर्व सुरक्षा की कामना हेतु।
- गृह शांति और पारिवारिक समृद्धि के लिए।

निष्कर्ष
महामृत्युंजय मंत्र केवल मृत्यु से रक्षा करने वाला मंत्र नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शाश्वतता का बोध कराता है। इसके निरंतर जाप से व्यक्ति न केवल शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्त होता है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
यह मंत्र हमें यह सिखाता है कि मृत्यु का भय केवल अज्ञान का परिणाम है। जब साधक शिव की शरण में होता है, तब मृत्यु भी उसकी आत्मा को छू नहीं सकती। इसलिए इसे “मोक्ष का मंत्र” और “संजीवनी मंत्र” कहा जाता है।
Leave a Reply