भूमिका
प्रयागराज (इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर है। इसे त्रिवेणी संगम, गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम और कुंभ नगरी के नाम से संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में जाना जाता है। यहाँ स्थित अनेक मंदिर और धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था के केंद्र हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख आकर्षण है – प्रयागराज के लेटे हनुमान जी का मंदिर।
यह मंदिर अद्वितीय है क्योंकि यहाँ भगवान हनुमान जी की विशाल प्रतिमा लेटे हुए स्वरूप में स्थापित है। ऐसा स्वरूप भारत के अन्य किसी मंदिर में सामान्यत: नहीं देखने को मिलता।
ऐतिहासिक और पौराणिक पृष्ठभूमि
हनुमान जी के लेटे स्वरूप के विषय में कई कथाएँ प्रचलित हैं –
- रामायण प्रसंग से संबंध
कहा जाता है कि जब लंका विजय के पश्चात् भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे और श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ, तब हनुमान जी निरंतर सेवा करते रहे। उस समय उन्होंने थककर विश्राम लिया और लेट गए। इस स्वरूप को प्रयागराज में मूर्त रूप दिया गया। - संगम स्नान से जुड़ी कथा
एक मान्यता है कि जब महर्षि भरद्वाज ने प्रयागराज में तपस्या की, तब हनुमान जी संगम में स्नान करने के बाद विश्राम हेतु भूमि पर लेट गए। यही स्थान आगे चलकर लेटे हनुमान मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ। - शक्ति की रक्षा हेतु स्वरूप
त्रिवेणी संगम अत्यंत पवित्र और ऊर्जावान स्थल है। मान्यता है कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा की रक्षा के लिए हनुमान जी यहाँ सदा लेटे रहते हैं। उनका यह रूप भक्तों को सुरक्षा, साहस और श्रद्धा प्रदान करता है।
मंदिर का स्वरूप और वास्तुकला
- यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है।
- यहाँ हनुमान जी की लगभग 20 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी विशाल प्रतिमा है।
- प्रतिमा भूमि तल से नीची बनी हुई है, और मंदिर में प्रवेश करने के लिए नीचे उतरना पड़ता है।
- प्रतिमा को रंग-बिरंगे सिंदूर और तेल से सजाया जाता है।
- हनुमान जी दक्षिणमुखी होकर लेटे हैं और उनका चेहरा संगम की ओर है।

प्रतिमा की विशेषताएँ
- हनुमान जी पूर्ण लेटे हुए मुद्रा में हैं, ऐसा स्वरूप दुर्लभ है।
- उनका शरीर विशालकाय है, जिससे बल और पराक्रम की झलक मिलती है।
- प्रतिमा पर सिंदूर का लेप चढ़ाया जाता है, जो भक्त अपनी श्रद्धा से लगाते हैं।
- हनुमान जी के चरणों में जाकर भक्त अपने कष्ट दूर करने की कामना करते हैं।
धार्मिक महत्व
- मनोकामना पूर्ण करने वाला स्थान – यहाँ आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है, ऐसी मान्यता है।
- संकट मोचक रूप – हनुमान जी अपने संकटमोचक स्वरूप से भक्तों के दुख हरते हैं।
- कुंभ और माघ मेले का केंद्र – कुंभ स्नान के दौरान लाखों श्रद्धालु संगम स्नान के बाद लेटे हनुमान जी के दर्शन करना अनिवार्य मानते हैं।
- भूत-प्रेत बाधा निवारण – हनुमान जी की शरण में आकर व्यक्ति भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्त होता है।
मेले और पर्वFree Janam Kundali
- कुंभ मेला – हर बारह वर्ष पर होने वाले कुंभ मेले में इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
- अर्धकुंभ और माघ मेला – माघ महीने में यहाँ विशेष स्नान पर्व होता है, और हनुमान जी के दर्शन से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- हनुमान जयंती – इस दिन मंदिर में विशेष पूजा, हवन और भजन-कीर्तन होते हैं।
दर्शन विधि
- श्रद्धालु पहले संगम में स्नान करते हैं।
- फिर लेटे हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
- सिंदूर, तेल, फूल, गुड़ और नारियल चढ़ाते हैं।
- हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
मान्यताएँ और लोककथाएँ
- कहा जाता है कि जब गंगा का जल बढ़ता है तो वह प्रतिमा को ढक लेता है। इसे शुभ संकेत माना जाता है।
- भक्तों का विश्वास है कि प्रतिमा को स्वयं भगवान ने प्रकट किया है, यह मानव निर्मित नहीं है।
- संकट और आपदा के समय हनुमान जी यहाँ से पूरे प्रयागराज की रक्षा करते हैं।
पर्यटन और आकर्षण
- संगम स्नान, किला, अक्षयवट और सरस्वती कुआँ के साथ यह मंदिर प्रयागराज आने वालों के लिए प्रमुख आकर्षण है।
- यहाँ देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
- मंदिर के पास कई साधु-संत तपस्या और प्रवचन करते रहते हैं।
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हनुमान जी का लेटा स्वरूप यह सिखाता है कि
- सेवा और समर्पण के बाद विश्राम भी आवश्यक है।
- शक्ति का वास्तविक उपयोग दूसरों की रक्षा में है।
- आस्था से जुड़ी विनम्रता व्यक्ति को संतुलन देती है।
आधुनिक समय में लेटे हनुमान जी
आज भी प्रतिमा उतनी ही चमत्कारी मानी जाती है जितनी प्राचीन काल में थी।
- प्रशासन मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान देता है।
- आधुनिक सुविधाओं के साथ भी मंदिर का पौराणिक स्वरूप अक्षुण्ण रखा गया है।
निष्कर्ष
प्रयागराज का लेटे हनुमान मंदिर केवल एक मंदिर ही नहीं बल्कि आस्था का ऐसा केन्द्र है जहाँ हर भक्त अपने दुःख दूर करने, मनोकामनाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक शांति पाने आता है। यहाँ का वातावरण, विशाल प्रतिमा और संगम की पवित्रता भक्तों को अलौकिक अनुभव कराती है।
हनुमान जी का यह स्वरूप अद्वितीय है और भक्तों को यह संदेश देता है कि सेवा, समर्पण और शक्ति का उपयोग लोककल्याण में होना चाहिए।
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