देवप्रयाग image’s sources: Google देवप्रयाग:
यहां यमुना नदी और भागीरथी
(गंगा का नाम यहां
पर भी होता है)
मिलती हैं। देवप्रयाग उत्तराखंड
राज्य में स्थित है।
image’s sources google रुद्रप्रयाग:
यहां मंदाकिनी नदी और भागीरथी
मिलती हैं। रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
राज्य में स्थित है।
कर्णप्रयाग:
यहां पिंडर नदी और भागीरथी
मिलती हैं। कर्णप्रयाग उत्तराखंड
राज्य में स्थित है।
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नंदप्रयाग:
यहां अलकनंदा नदी और भागीरथी
मिलती हैं। नंदप्रयाग उत्तराखंड
राज्य में स्थित है।
विष्णुप्रयाग:
यहां धौलीगंगा नदी और भागीरथी
मिलती हैं। विष्णुप्रयाग उत्तराखंड
राज्य में स्थित है।
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यह मंत्र संस्कृत
में है और इसका
अर्थ है:
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यः
स्मरेत पुण्डरीकांक्ष से बाह्याभ्यंतरः शुचि।
ॐ केशवायनमः ॐ माधवाय नमः
ॐ नाराणाय नमः !
“अपवित्र
(अशुद्ध) हो या पवित्र
(शुद्ध), सभी अवस्थाओं में
यह स्मरण करने वाला व्यक्ति
आन्तरिक और बाह्य रूप
से शुद्ध होता है। श्री
केशवाय नमः, श्री माधवाय
नमः, श्री नारायणाय नमः।“
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यह मंत्र शुद्धता, पवित्रता और अनुग्रह की
शक्ति को स्मरण करने
के लिए उच्चारित किया
जाता है। इसे भगवान
विष्णु के नामों का
जप माना जाता है
और इसका जाप करने
से शुद्धता और स्वयं की
पवित्रता की अनुभूति होती
है।
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