प्रस्तावना
हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्वत केवल एक साधारण पर्वत नहीं है, बल्कि यह अनादि काल से अध्यात्म, आस्था और रहस्यों का जीवित प्रतीक है। विश्व की अनेक धार्मिक परंपराएँ इसे पवित्र मानती हैं। हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म – सभी में कैलाश का महत्व अद्वितीय है। भारत की संस्कृति में इसे भगवान शिव का निवास कहा गया है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु जीवन में एक बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने का संकल्प लेते हैं।
कैलाश पर्वत का भौगोलिक परिचय
कैलाश पर्वत तिब्बत (चीन) के स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) है। यह पर्वत कुनलुन पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। इसकी संरचना चतुर्भुजाकार है और यह दूर से देखने पर भी अपनी विशिष्टता से तुरंत पहचाना जा सकता है।
- पर्वत की चोटी सालभर बर्फ से ढकी रहती है।
- चार दिशाओं में फैली नदियाँ – सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली (घाघरा) – कैलाश से ही उद्गम लेती हैं। यही कारण है कि इसे “विश्व की जीवनरेखा” भी कहा जाता है।
- इसके समीप ही मानसरोवर झील और राक्षसताल स्थित हैं, जो इसकी पवित्रता और रहस्य को और गहराई देते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
1. हिंदू धर्म में
- कैलाश को भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य निवास कहा गया है।
- इसे ‘अक्षय मेरु’ भी कहा जाता है, जहाँ से ब्रह्मांड की समस्त शक्तियाँ संचालित होती हैं।
- स्कंद पुराण, शिव पुराण और महाभारत में कैलाश का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- यह स्थान केवल भौतिक जगत का पर्वत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ध्रुव है, जहाँ साधना करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
2. बौद्ध धर्म में
- बौद्ध परंपरा में कैलाश को ‘कांग रिनपोछे’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – “कीमती हिम पर्वत”।
- इसे चक्रसम्वर तंत्र से जोड़ा जाता है।
- तिब्बती बौद्ध इसे ध्यान और साधना का सर्वोच्च केंद्र मानते हैं।
3. जैन धर्म में
- जैन धर्म में कैलाश पर्वत को अष्टापद कहा जाता है।
- यही वह पावन स्थल है जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) ने निर्वाण प्राप्त किया।
4. बोन धर्म में
- प्राचीन तिब्बती बोन धर्म के अनुसार कैलाश सिपा युलुंग देवता का निवास है।
- इसे सृष्टि का केंद्र और जीवन चक्र का आधार माना जाता है।
कैलाश पर्वत से जुड़े पौराणिक प्रसंगMahakal Temple Ujjain – Darshan, Aarti & Online Puja
- समुद्र मंथन और कैलाश
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। यह घटना कैलाश पर्वत पर हुई मानी जाती है। - रावण और कैलाश
लंका के राजा रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया। किंतु शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत दबा दिया और रावण वहीं फँस गया। बाद में शिव ने प्रसन्न होकर उसे “रावणेश्वर” उपाधि दी। - पांडवों की यात्रा
महाभारत में उल्लेख है कि पांडव अपने अंतिम दिनों में स्वर्गारोहण के लिए कैलाश की ओर गए।
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश पर्वत की सबसे प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा कैलाश मानसरोवर यात्रा है। यह यात्रा जीवन में एक बार अवश्य करने योग्य मानी जाती है।
- मानसरोवर झील – इसे ‘देवों की झील’ कहा जाता है। इसकी परिक्रमा से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- कैलाश पर्वत परिक्रमा – लगभग 52 किलोमीटर लंबी यह परिक्रमा श्रद्धालुओं के लिए अत्य
कैलाश पर्वत की रहस्यमयी विशेषताएँ
- अद्भुत आकार और स्वरूप
- कैलाश पर्वत का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा प्रतीत होता है।
- इसके चारों मुख (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) मानो ब्रह्मांड के चार वेदों का प्रतीक हैं।
- ऊपर से देखने पर यह एक पिरामिडनुमा आकृति बनाता है, जिसे आधुनिक वैज्ञानिक भी चकित होकर देखते हैं।
- चार महान नदियों का उद्गम
- सिंधु नदी – भारत और पाकिस्तान की जीवनरेखा।
- सतलुज नदी – पंजाब की धरती को सींचने वाली।
- ब्रह्मपुत्र नदी – असम और बंगाल की प्रमुख नदी।
- घाघरा (कर्णाली) – गंगा की सहायक धारा।
इन चारों नदियों का उद्गम एक ही पर्वत से होना इसे धरा का केंद्र सिद्ध करता है।
- चढ़ाई का रहस्य
- आज तक कोई भी मनुष्य कैलाश की चोटी पर नहीं पहुँच पाया।
- कई बार विदेशी पर्वतारोहियों ने प्रयास किए, लेकिन रहस्यमयी परिस्थितियों, मौसम और अदृश्य शक्तियों ने उन्हें रोक दिया।
- कहा जाता है कि जिसने भी कोशिश की, उसे अलौकिक अनुभव हुए और उसने बीच में ही प्रयास छोड़ दिया।
वैज्ञानिक और रहस्यमय दृष्टिकोण
- वैज्ञानिक मानते हैं कि कैलाश पर्वत की संरचना साधारण नहीं है। इसके चारों ओर का भू-चुंबकीय क्षेत्र अत्यंत शक्तिशाली है।
- कई यात्रियों का कहना है कि वहाँ घड़ियाँ काम करना बंद कर देती हैं, शरीर की गति असामान्य हो जाती है, और समय बहुत तेज़ी से गुजरता हुआ प्रतीत होता है।
- यह स्थान ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जिसे ‘कॉस्मिक पावर हब’ भी कहा जाता है।
मानसरोवर झील और राक्षसतालमहाकाल महालोक : 47 हेक्टेयर में फैला आध्यात्मिक वैभव और कला
- मानसरोवर झील
- समुद्र तल से लगभग 4,590 मीटर ऊँचाई पर स्थित।
- गोलाकार और बेहद शांत झील।
- कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से 100 जन्मों के पाप मिट जाते हैं।
- झील के जल में कई बार लोग दिव्य रोशनी और अद्भुत आभाएँ देखते हैं।
- राक्षसताल
- मानसरोवर के पास ही स्थित, परंतु आकार में विकृत और रहस्यमयी।
- इसे असुरों का निवास कहा गया है।
- यहाँ का जल खारा और अस्वच्छ है, जबकि मानसरोवर का जल निर्मल और मीठा है।
- यह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का अद्भुत संतुलन दर्शाता है।
कैलाश पर्वत की परिक्रमा
- परिक्रमा की लंबाई लगभग 52 किलोमीटर है।
- साधारण श्रद्धालु इसे 3 दिन में पूरा करते हैं।
- तिब्बती श्रद्धालु मानते हैं कि 108 बार कैलाश की परिक्रमा करने वाला सीधे मोक्ष प्राप्त करता है।
- कई लोग घुटनों और शरीर को भूमि पर डालते हुए भी परिक्रमा करते हैं, जिसे दंडवत परिक्रमा कहा जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से कैलाश
- कैलाश पर्वत को आध्यात्मिक ध्रुव तारा कहा गया है।
- यहाँ की ऊर्जा साधकों को ध्यान, समाधि और आत्मज्ञान की ओर आकर्षित करती है।
- कई योगियों और संतों ने यहाँ गहन तपस्या की और अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त कीं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
- आदि शंकराचार्य ने यहाँ ध्यान किया और अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार किया।
- गुरुनानक देव जी भी मानसरोवर पहुँचे थे और यहाँ ध्यान किया।
- कई तिब्बती और भारतीय संतों ने कैलाश की महिमा का वर्णन किया है।
कैलाश पर्वत के आधुनिक चमत्कार
- कई यात्रियों ने रात में आसमान में विचित्र रोशनियाँ देखी हैं।
- मानसरोवर झील पर कभी-कभी अज्ञात ऊर्जा-तरंगें दिखाई देती हैं।
- उपग्रह चित्रों में कैलाश की आकृति विशाल यंत्र (मंडल) जैसी लगती है।
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कैलाश पर्वत केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, बल्कि यह आस्था, अध्यात्म और अनन्त रहस्यों का संगम है। यह वह स्थान है जहाँ विज्ञान और धर्म दोनों एक-दूसरे को चुनौती देते हैं। श्रद्धालु इसे मोक्ष का द्वार मानते हैं, जबकि वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक रहस्यों का केंद्र कहते हैं।
इस प्रकार, कैलाश पर्वत न केवल भारतीय संस्कृति, बल्कि समूचे विश्व के लिए अद्वितीय महत्व रखता है।
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