Skip to content
  • Monday, 29 September 2025
  • 3:16 am
  • Follow Us
Bhasma Aarti & Daily Puja at Mahakal Temple
  • Home
  • Astrology
    • Free Janam Kundali
    • जानें आज का राशि फल
    • Route & Travel Guide
  • Home
  • कालसर्प दोष: कारण, प्रभाव और उपाय
  • Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
  • माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
  • माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
  • नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
  • नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
news

कालसर्प दोष: कारण, प्रभाव और उपाय

Pinki Mishra Sep 15, 2025 0

प्रस्तावना

भारतीय ज्योतिष में जन्मकुंडली का अत्यंत गहरा महत्व होता है। प्रत्येक ग्रह अपनी स्थिति और दृष्टि के आधार पर जातक के जीवन को प्रभावित करता है। इनमें से कुछ योग या दोष जातक के जीवन को सुखद बनाते हैं तो कुछ उसे संघर्षमय कर देते हैं। इन्हीं में से एक है कालसर्प दोष। यह दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इसे ज्योतिष में अत्यंत प्रभावशाली और जीवन को बदल देने वाला दोष माना गया है।


Table of Contents

Toggle
  • कालसर्प दोष क्या है?
  • कालसर्प दोष बनने का कारणमहाकाल महालोक : 47 हेक्टेयर में फैला आध्यात्मिक वैभव और कला
  • कालसर्प दोष के प्रकार
  • कालसर्प दोष के लक्षण
  • कालसर्प दोष का प्रभाव
  • कालसर्प दोष के उपायFree Janam Kundali
  • कालसर्प दोष और भाग्य का संबंध
  • कालसर्प दोष और ग्रहों की दृष्टि
  • कालसर्प दोष कब अधिक प्रभावी होता है?
  • कालसर्प दोष और पितृ दोष का संबंध
  • कालसर्प दोष के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक पहलूDurga Kavach in Hindi : दुर्गा कवच पढ़ने से होता है मन शांत
  • कालसर्प दोष निवारण के विशेष स्थल
  • कालसर्प दोष से प्रभावित महान व्यक्ति
  • जीवन-दर्शन और संदेश
  • निष्कर्षMahakal Temple Ujjain – Darshan, Aarti & Online Puja

कालसर्प दोष क्या है?

‘काल’ का अर्थ है समय और ‘सर्प’ का अर्थ है नाग या सर्प। ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को ऐसा योग माना जाता है जो व्यक्ति के जीवन में समय-समय पर कठिनाइयाँ, बाधाएँ और मानसिक अशांति लाता है। जब किसी की जन्मकुंडली में राहु और केतु के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाएँ तो यह दोष निर्मित होता है।

राहु और केतु छाया ग्रह हैं और इन्हें पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। जब ये दोनों जीवन को घेर लेते हैं तो जातक को ऐसा प्रतीत होता है मानो वह एक अदृश्य बंधन में फँस गया हो।


कालसर्प दोष बनने का कारणमहाकाल महालोक : 47 हेक्टेयर में फैला आध्यात्मिक वैभव और कला

  1. जन्म के समय सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच हों।
  2. राहु-केतु की स्थिति से बने इस योग का प्रभाव कुंडली के विभिन्न भावों पर पड़ता है।
  3. यह योग कर्मफल और पिछले जन्म के संस्कारों से जुड़ा माना जाता है।

कालसर्प दोष के प्रकार

ज्योतिष में कालसर्प दोष के बारह प्रमुख प्रकार बताए गए हैं। हर प्रकार का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ता है।

  1. अनंत कालसर्प दोष – जब राहु लग्न भाव में और केतु सप्तम भाव में हो।
    • जातक को वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं।
    • व्यापार में असफलता मिल सकती है।
  2. कुलिक कालसर्प दोष – राहु द्वितीय और केतु अष्टम भाव में।
    • आर्थिक संकट बना रहता है।
    • परिवार में तनाव और कलह रहती है।
  3. वासुकी कालसर्प दोष – राहु तृतीय और केतु नवम भाव में।
    • भाई-बहनों से विवाद।
    • भाग्य का साथ कम मिलता है।
  4. शंखपाल कालसर्प दोष – राहु चतुर्थ और केतु दशम भाव में।
    • मातृ सुख की कमी।
    • करियर में रुकावटें।
  5. पद्म कालसर्प दोष – राहु पंचम और केतु एकादश भाव में।
    • संतान सुख में बाधा।
    • निवेश और शेयर बाज़ार में नुकसान।
  6. महापद्म कालसर्प दोष – राहु षष्ठ और केतु द्वादश भाव में।
    • शत्रु प्रबल रहते हैं।
    • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
  7. तक्षक कालसर्प दोष – राहु सप्तम और केतु लग्न भाव में।
    • विवाह में देरी या असफलता।
    • जीवनसाथी से मतभेद।
  8. कर्कोटक कालसर्प दोष – राहु अष्टम और केतु द्वितीय भाव में।
    • दुर्घटना का भय।
    • दांपत्य जीवन अशांत।
  9. शंखचूड़ कालसर्प दोष – राहु नवम और केतु तृतीय भाव में।
    • भाग्य बाधित।
    • धार्मिक कार्यों में रुकावट।
  10. घाटक कालसर्प दोष – राहु दशम और केतु चतुर्थ भाव में।
    • करियर में अस्थिरता।
    • माता से दूर रहना पड़ सकता है।
  11. विषधर कालसर्प दोष – राहु एकादश और केतु पंचम भाव में।
    • धन की हानि।
    • मित्र धोखा दे सकते हैं।
  12. शेषनाग कालसर्प दोष – राहु द्वादश और केतु षष्ठ भाव में।
    • मानसिक अशांति।
    • विदेश यात्रा में बाधाएँ।

कालसर्प दोष के लक्षण

  • बार-बार असफलता मिलना।
  • अचानक आर्थिक नुकसान।
  • मानसिक तनाव और भय।
  • परिवार और समाज से सहयोग की कमी।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ।
  • विवाह और संतान संबंधी बाधाएँ।
  • जीवन में स्थिरता का अभाव।

कालसर्प दोष का प्रभाव

  1. व्यक्तिगत जीवन पर – विवाह में विलंब, दांपत्य जीवन में तनाव, संतान सुख की कमी।
  2. व्यवसाय पर – आर्थिक संकट, करियर में असफलता, नौकरी में अस्थिरता।
  3. स्वास्थ्य पर – मानसिक रोग, नींद की समस्या, रक्तचाप, दुर्घटनाओं का भय।
  4. सामाजिक जीवन पर – समाज में मान-सम्मान की हानि, मित्रों से विवाद।

कालसर्प दोष के उपायFree Janam Kundali

ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय बताए गए हैं:

  1. पूजा-पाठ
    • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन) में कालसर्प दोष निवारण पूजा।
    • त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में विशेष कालसर्प योग पूजा।
    • नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा।
  2. मंत्र जाप
    • “ॐ नमः शिवाय” का नियमित जाप।
    • महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप।
    • राहु और केतु के बीज मंत्र का जाप।
  3. दान-पुण्य
    • राहु-केतु को प्रसन्न करने हेतु काले तिल, उड़द दाल, सरसों का तेल, लोहे की वस्तु का दान।
    • गरीबों को भोजन कराना।
  4. रत्न धारण
    • राहु के लिए गोमेद।
    • केतु के लिए लहसुनिया (कैट्स आई)।
      (लेकिन रत्न धारण करने से पहले योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह लेना आवश्यक है।)
  5. अन्य उपाय
    • सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करना।
    • हनुमान चालीसा का पाठ।
    • पीपल के वृक्ष की पूजा।

कालसर्प दोष और भाग्य का संबंध

  • कालसर्प दोष को अक्सर पिछले जन्म के अधूरे कर्म और पाप से जोड़ा जाता है।
  • यह व्यक्ति को ऐसा अनुभव कराता है मानो भाग्य उसका साथ नहीं दे रहा।
  • जीवन में कई बार सही मेहनत करने के बाद भी सफलता मिलने में विलंब होता है।

कालसर्प दोष और ग्रहों की दृष्टि

  • यदि शुभ ग्रह (बृहस्पति, शुक्र) राहु-केतु पर दृष्टि डालते हैं तो दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
  • यदि शनि, मंगल जैसे पाप ग्रह राहु-केतु को प्रभावित करें तो दोष का प्रभाव और प्रबल होता है।
  • चंद्रमा यदि राहु से पीड़ित हो तो मानसिक तनाव बहुत अधिक बढ़ जाता है।

कालसर्प दोष कब अधिक प्रभावी होता है?

  1. जब जातक की दशा/अंतरदशा में राहु या केतु की अवधि चल रही हो।
  2. जब राहु या केतु गोचर में महत्वपूर्ण भाव (लग्न, चतुर्थ, सप्तम, दशम) से गुजर रहे हों।
  3. यदि कुंडली में पहले से ही पितृ दोष या अन्य अशुभ योग हों।

कालसर्प दोष और पितृ दोष का संबंध

  • कई बार ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि कालसर्प दोष और पितृ दोष साथ-साथ प्रकट होते हैं।
  • यदि परिवार में अचानक मृत्यु, वंश में संतान सुख की कमी या लगातार असफलता हो, तो पितृ दोष की भी संभावना होती है।
  • पितरों का श्राद्ध, तर्पण और गंगाजल से पूजा करने से दोनों दोषों का प्रभाव कम किया जा सकता है।

कालसर्प दोष के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक पहलूDurga Kavach in Hindi : दुर्गा कवच पढ़ने से होता है मन शांत

  • आधुनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी है।
  • जिनकी कुंडली में यह दोष होता है, वे अक्सर स्वयं को असुरक्षित, भयभीत और नकारात्मक महसूस करते हैं।
  • यदि वे ज्योतिषीय उपायों के साथ-साथ सकारात्मक सोच, ध्यान और योग को अपनाएँ तो मानसिक रूप से बहुत राहत मिलती है।

कालसर्प दोष निवारण के विशेष स्थल

भारत में कुछ स्थान विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध हैं:

  1. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक (महाराष्ट्र) – यहाँ कालसर्प दोष पूजा सबसे प्रसिद्ध है।
  2. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन (मध्यप्रदेश)।
  3. कामाख्या देवी मंदिर, असम – राहु-केतु की शांति के लिए।
  4. कालाहस्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश – यहाँ राहु-केतु पूजा का विशेष महत्व है।

कालसर्प दोष से प्रभावित महान व्यक्ति

  • कई बड़े नेता, अभिनेता और उद्योगपति की कुंडली में भी कालसर्प दोष पाया गया है।
  • उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद परिश्रम, आत्मविश्वास और सही उपायों से सफलता प्राप्त की।
  • इसका अर्थ है कि कालसर्प दोष जीवन को कठिन बना सकता है लेकिन असंभव नहीं।

जीवन-दर्शन और संदेश

  • कालसर्प दोष हमें यह सिखाता है कि जीवन में बाधाएँ आना स्वाभाविक है।
  • यदि हम धैर्य, श्रद्धा और कर्मशीलता बनाए रखें तो धीरे-धीरे सारी कठिनाइयाँ दूर हो सकती हैं।
  • केवल दोष पर ध्यान देने के बजाय सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास को महत्व देना चाहिए।

निष्कर्षMahakal Temple Ujjain – Darshan, Aarti & Online Puja

कालसर्प दोष वास्तव में जीवन की चुनौतियों का प्रतीक है। यह दोष जातक के जीवन को कठिन बना सकता है, लेकिन पूजा-पाठ, मंत्र-जाप और सकारात्मक सोच से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। ज्योतिष मानता है कि कर्म प्रधान है—यदि व्यक्ति मेहनत, संयम और श्रद्धा से जीवन जिए तो कोई भी दोष स्थायी रूप से उसे पराजित नहीं कर सकता।


Pinki Mishra

Website: http://mahakaltemple.com

Related Story
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025
माँ ब्रह्मचारिणी
news
नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
Mayank Sri Sep 23, 2025
नवरात्रि
news
नवरात्रि का पहला दिन: करें माँ शैलपुत्री की पूजा
Mayank Sri Sep 22, 2025
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्
news
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् | ‘अयि गिरिनन्दिनी…’ आदि शंकराचार्य कृत माँ दुर्गा की स्तुति
Mayank Sri Sep 21, 2025
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
news
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
Mayank Sri Sep 21, 2025
नवरात्रि 2025
news
नवरात्रि 2025: व्रत और कलश स्थापना की पूरी विधि
Mayank Sri Sep 20, 2025
शिव
news
क्यों शिव बने नटराज: जानिए तांडव के पीछे का आध्यात्मिक संदेश
Mayank Sri Sep 19, 2025

Leave a Reply
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MAY HAVE MISSED
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025