मस्तक, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहु, बाहुमूल, नाभि, पीठ दोनों बगल में इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है।
सौभाग्यसूचक द्रव्य जैसे चंदन, केशर, कुमकुम आदि का तिलक लगाने से सात्विक एवं तेजपूर्ण होकर आत्मविश्वास में अभूतपूर्व वृद्धि होती है. मन में निर्मलता, शांति एवं संयम में वृद्धि होती है।
वैज्ञानिक महत्व
ललाट पर तिलक धारण करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है तथा बीटाएंडोरफिन और सेरेटोनिन नामक रसायनों का स्त्राव संतुलित मात्रा में होने लगता है।
इन रसायनों की कमी से उदासीनता और निराशा के भाव पनपने लगते है। अतः तिलक उदासीनता और निराशा से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है।
विभिन्न द्रव्यों से बने तिलक की उपयोगिता और महत्व अलग-अलग हैं.
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