- आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर शुरू होती है जगन्नाथ रथ यात्रा
- जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने पहुंचे लाखों भक्त
- मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं भगवान जगन्नाथ
भारत की पवित्र भूमि पर अनगिनत त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन जगन्नाथ पुरी में की रथ यात्रा एक अद्भुत पर्व है जिसको देखने का सौभाग्य हर किसी के जीवन में एक बार मिलना चाहिए यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आस्था भक्ति और चमत्कारों का जीवंत प्रमाण है । जगन्नाथ पुरी में अलग-अलग अनोखे चमत्कार होते हुए दिखाई देते हैं वहां के लोगों का मानना है जो जगन्नाथ पुरी में आस्था रखते हैं उनका मानना यह है कि जगन्नाथ पुरी में समय-समय पर हर किसी के साथ कुछ ना कुछ नया चमत्कार होता रहता है। जगन्नाथ जी अपने भक्तों की परीक्षा लेने के साथ ही उनकी सहायता भी करते हैं उन्हें मुसीबत से बाहर निकाल देते हैं । लोगों का मानना है कि जगन्नाथ जी खुद स्वयं हमारी रक्षा करने आते हैं वहां लोगों की आस्था मानी जाती है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा कब शुरू हुई थी ? :-
जगन्नाथ रथ यात्रा 12वीं से 16वीं सती के बीच में शुरू हुई थी माना जाता है । भारत के उड़ीसा राज्य की पूरी क्षेत्र जिसमें पुरुषोत्तम पुरी शंकर क्षेत्र ,श्री क्षेत्र, श्री के नाम से भी जाना जाता है भगवान जगन्नाथ की मुख्य लीला भूमि है उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं यहां के वैष्णव धर्म की यह मानता है कि राधा और कृष्णा जी की युगल मूर्ति के प्रति स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं इसी के प्रतिक रूप श्री जगन्नाथ जी से संपूर्ण जगत का उद्भव हुआ भगवान जगन्नाथ श्री कृष्ण की ही लीला का ही एक रूप है ऐसी मानता है कि श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पांच शाखों की है भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल के द्वितीय को जगन्नाथ पुरी से प्रारंभ होती है
भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर किसके साथ जाते हैं :-
जगन्नाथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र सुमित्रा के साथ गुंडिचा मंदिर जाते हैं गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर के रूप में माना जाता है इस यात्रा का आयोजन सदियों से होता आ रहा है इसके पीछे पौराणिक मान्यता चली आ रही है ।
रथ की खासियत क्या है? :-
बलराम जी, भगवान श्री कृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन रथ बनाए जाते हैं, जिसका निर्माण दारू दारू नमक नीम की लकड़ी से होता है यात्रा के दौरान बलराम जी आगे का रथ होता है उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्री कृष्ण जी का रथ चलता है रथ बनाने के लिए लकड़ी के अलावा कल काटो का उपयोग नहीं किया जाता और ना ही किसी तरह की धातु का इस्तेमाल किया जाता है
प्रसाद का महत्व :-
- जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद केवल भोजन नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ की कृपा का स्वरूप माना जाता है मानता यह है कि प्रसाद में एक ऐसी दिव्य शक्ति है कि जो न केवल भूखे लोगों की भूख को शांत करती है और साथ ही मन को शांति , संतुष्टि और आत्मा को शुद्ध करती है ।
- महाप्रसाद “अनना”और” कठुआ ‘दो प्रकार का होता है
- महाप्रसाद चावल दाल सब्जी और खिचड़ी आदि का होता है
- कठुआ महाप्रसाद मिठाई और सुखे व्यंजन
- चमत्कार यह है कि इस प्रसाद को मंदिर की रसोई में बनाया जाता है और यह प्रसाद कभी भी काम नहीं पड़ता है हर दिन जितना प्रसाद बनता है उतना ही भक्तों में बट जाता है ना काम ना ज्यादा भगवान की अनंत कृपा और अदृश्य प्रबंधन का उदाहरण है
- लोगों की आस्था यह है कि जगन्नाथ मंदिर की रसोई पर जगन्नाथ की कृपा है जिसकी वजह से ना तो कभी प्रसाद काम पड़ता है ना कभी पड़ेगा क्योंकि जगन्नाथ की ऐसी कृपा रहती है कि जितना प्रसाद होता है उतनी वक्त होते हैं या यह भी कह सकते हैं कि जितना वक्त होते हैं उतना ही प्रसाद होता है ना ही तो वह बचता है और ना ही काम पड़ता है।
रथ यात्रा का अद्भुत दृश्य :-
- रथ यात्रा के दौरान कई ऐसे चमत्कार करते हैं जो की विज्ञान भी आज तक समझ नहीं पाया यहां पर कई साइंटिस्ट टोनी अपना परीक्षण किया लेकिन उन्हें कुछ भी ऐसा नहीं मिल पाया वह कुछ नहीं समझ पाए कि यहां कैसा चमत्कार है यह सब कैसे होता है ।
- लाखों की भीड़ होने पर भी व्यवस्था अपने आप बनी रहती है |
- तेज बारिश में भी रथ यात्रा बिना रुके हुए आगे बढ़ती रहती है |
- भक्तों की चेहरे पर अजीब सी दिव्या हवा है मानो भगवान स्वयं उनके भीतर विराजमान हो जाते हैं |
- श्रद्धालु इस रथ यात्रा में बड़े भक्ति भाव से इस रथ यात्रा में मौजूद रहते हैं।
- उनका मानना है कि यहां खुद जगन्नाथ हम सबके बीच में मौजूद हैं और यह रथ यात्रा ऐसे ही आगे भी चलती रहेगी |
निष्कर्ष :-
महा प्रसाद दिव्यता और रथ यात्रा का चमत्कार हमने यह सिखाता है कि जब हम भक्त की सच्ची भावना से भगवान को पुकारते हैं तो खुद जगन्नाथ वहां स्वयं प्रकट होते हैं जब आपकी भक्ति सच्ची होती है तो भगवान स्वयं अपने भक्तों के पास आते हैं और आयोजन में केवल परंपरा ही नहीं ईश्वर के प्रति आस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण होता है। यह आस्था भक्त की भगवान के ऊपर नहीं बल्कि भगवान के चमत्कारों के ऊपर उनकी आस्था होती है उन्हें विश्वास होता है कि भगवान हमारे साथ हैं और हमारे साथ जो भी करेंगे सब अच्छा ही होगा उन्हें इस बात का यकीन होता है कहते हैं कि जहां भक्ति सच्ची होती है वहां ईश्वर खुद प्रकट हो जाते हैं। ऐसे ही जगन्नाथ में भगवान जगन्नाथ की ऐसी कृपा है लोगों के ऊपर की इतनी बड़ी रथ यात्रा में भी कोई ऐसा संकट नहीं आता जो यात्रा रख सके कभी यात्रा यात्रा नहीं रुकना ही कभी रुकेगी।