Skip to content
  • Friday, 26 September 2025
  • 4:45 am
  • Follow Us
Bhasma Aarti & Daily Puja at Mahakal Temple
  • Home
  • Astrology
    • Free Janam Kundali
    • जानें आज का राशि फल
    • Route & Travel Guide
  • Home
  • पितृपक्ष 2025: जानें तिथियाँ, पूजन विधि और महत्वपूर्ण नियम
  • Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
  • माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
  • माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
  • नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
  • नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
news

पितृपक्ष 2025: जानें तिथियाँ, पूजन विधि और महत्वपूर्ण नियम

Mayank Sri Sep 6, 2025 0
pitrapaksha 2025

भारतीय संस्कृति में पूर्वजों का सम्मान और उनकी स्मृति को जीवित रखना एक अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है। पितृपक्ष उन्हीं पावन अवसरों में से एक है, जब हम अपने पितरों को याद करते हुए उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य करते हैं।वर्ष 2025 में पितृपक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। इस अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है और इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या (महालय अमावस्या) पर होता है।

इस लेख में हम पितृपक्ष 2025 की तिथियों, महत्व, धार्मिक अनुष्ठानों, परंपराओं, वर्जनाओं, ज्योतिषीय दृष्टिकोण और दिन-प्रतिदिन की श्राद्ध तिथियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।


Table of Contents

Toggle
  • पितृपक्ष 2025 की तिथियाँ
    • विशेष खगोलीय घटनाएँ:
  • दिन-प्रतिदिन की श्राद्ध तिथियाँ 2025
  • पितृपक्ष का महत्व
    • 1. पितृ ऋण की निवृत्ति
    • 2. पूर्वजों की आत्मा की शांति
    • 3. परिवार के कल्याण की कामना
    • 4. आध्यात्मिक शुद्धि
  • पितृपक्ष में किए जाने वाले अनुष्ठान
    • 🔹श्राद्ध
    • 🔹तर्पण
    • 🔹पिंडदान
    • 🔹दान-पुण्य
    • 🔹कौवे को भोजन कराना
  • पितृपक्ष में क्या करें ✔️क्या न करें ❌
    • ✅ क्या करें:
    • ❌ क्या न करें:
  • ज्योतिषीय दृष्टि से पितृपक्ष 2025
  • पितृपक्ष और सामाजिक महत्व
  • निष्कर्ष

पितृपक्ष 2025 की तिथियाँ

  • प्रारंभ: 7 सितंबर 2025 (पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से)
  • समापन: 21 सितंबर 2025 (सर्वपितृ/महालय अमावस्या)
  • कुल अवधि: लगभग 15–16 दिन

विशेष खगोलीय घटनाएँ:

  • 🌓 7 सितंबर को पितृपक्ष के आरंभ के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा।
  • 🌞 21 सितंबर को पितृपक्ष के समापन (महालय अमावस्या) पर सूर्य ग्रहण होगा।

👉 ये दोनों ग्रहण इस वर्ष के पितृपक्ष को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बना रहे हैं।


दिन-प्रतिदिन की श्राद्ध तिथियाँ 2025

तिथि
वार
श्राद्ध
विशेष महत्व
7 सितंबररविवारप्रतिपदा श्राद्धपितृपक्ष की शुरुआत
8 सितंबरसोमवारद्वितीया श्राद्धछोटे पितरों के श्राद्ध हेतु
9 सितंबरमंगलवारतृतीया श्राद्धमातृ श्राद्ध विशेष
10 सितंबरबुधवारचतुर्थी श्राद्धदुर्घटना में मृत पितरों हेतु
11 सितंबरगुरुवारपंचमी श्राद्धकन्या व ब्रह्मचारी पितरों के लिए
12 सितंबरशुक्रवारषष्ठी श्राद्धबाल्यावस्था में दिवंगत हुए पितरों के लिए
13 सितंबरशनिवारसप्तमी श्राद्धआयुष्मान वंशजों के लिए प्रार्थना
14 सितंबररविवारअष्टमी श्राद्धमहिला पितरों के श्राद्ध हेतु
15 सितंबरसोमवारनवमी श्राद्धविशेषतः मातृ श्राद्ध
16 सितंबरमंगलवारदशमी श्राद्धसभी पितरों के लिए
17 सितंबरबुधवारएकादशी श्राद्धवैष्णव पितरों हेतु विशेष
18 सितंबरगुरुवारद्वादशी श्राद्धतपस्वी व संत पितरों के लिए
19 सितंबरशुक्रवारत्रयोदशी श्राद्धसमय से पूर्व दिवंगत हुए पितरों हेतु
20 सितंबरशनिवारचतुर्दशी श्राद्धआकस्मिक मृत्यु वालों हेतु
21 सितंबररविवारसर्वपितृ अमावस्यासभी पितरों के लिए सामूहिक श्राद्ध

पितृपक्ष का महत्व

1. पितृ ऋण की निवृत्ति

हिन्दू धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति जन्म से तीन ऋणों से बंधा होता है – देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृपक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म से पितृ ऋण की निवृत्ति होती है।

2. पूर्वजों की आत्मा की शांति

मान्यता है कि इस अवधि में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से अन्न-जल की अपेक्षा रखते हैं। श्राद्ध और तर्पण से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

3. परिवार के कल्याण की कामना

पितृपक्ष में किए गए दान और कर्म परिवार को सुख-समृद्धि, संतान सुख और पितरों के आशीर्वाद का फल प्रदान करते हैं।

4. आध्यात्मिक शुद्धि

यह काल आत्ममंथन, संयम और पवित्रता बनाए रखने का समय है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखता है।


पितृपक्ष में किए जाने वाले अनुष्ठान

🔹श्राद्ध

श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा के साथ अपने पितरों को स्मरण करना और उनके लिए अन्न-जल का अर्पण करना। इसे घर पर या किसी पवित्र तीर्थस्थल जैसे गया, प्रयागराज, काशी, हरिद्वार आदि में किया जाता है।

🔹तर्पण

तर्पण का अर्थ है जल, तिल और कुश मिलाकर पूर्वजों को अर्पित करना। यह विधि सूर्य को साक्षी मानकर की जाती है।

🔹पिंडदान

पिंडदान में चावल, जौ और आटे से बने गोल आकार के पिंड अर्पित किए जाते हैं। यह माना जाता है कि पिंडदान से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।

🔹दान-पुण्य

इस अवधि में अन्न, वस्त्र, तिल, तांबे के पात्र, जल से भरे कलश आदि दान करने का विशेष महत्व है। ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराना भी पवित्र माना जाता है।

🔹कौवे को भोजन कराना

कौवे को पितृदूत माना जाता है। मान्यता है कि कौवे को अर्पित भोजन पितरों तक पहुँचता है।


पितृपक्ष में क्या करें ✔️क्या न करें ❌

✅ क्या करें:

  • श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान विधिपूर्वक करें।
  • गरीबों, ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को दान करें।
  • सत्त्विक भोजन ग्रहण करें।
  • संयम, मौन और श्रद्धा बनाए रखें।

❌ क्या न करें:

  • मांस, मछली, अंडा, प्याज़, लहसुन, शराब आदि वर्जित खाद्य पदार्थ न खाएँ।
  • इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कार्य न करें।
  • बाल और नाखून काटना भी इस समय उचित नहीं माना जाता।
  • क्रोध, झूठ, चुगली और अपशब्दों से बचें।

ज्योतिषीय दृष्टि से पितृपक्ष 2025

इस बार पितृपक्ष की शुरुआत और समापन दोनों ही ग्रहण के साथ हो रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार:

  • यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहेगा।
  • ग्रहण काल में पितरों के लिए किए गए दान और तर्पण का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
  • राशि अनुसार कुछ जातकों को पितृ दोष से मुक्ति पाने के विशेष अवसर मिलेंगे।

पितृपक्ष और सामाजिक महत्व

पितृपक्ष केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवार और समाज को जोड़ने वाला त्योहार भी है। यह हमें सिखाता है कि:

  • हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए।
  • पूर्वजों का सम्मान करना और उनके योगदान को याद रखना हमारे नैतिक कर्तव्यों में शामिल है।
  • दान और सेवा की परंपरा समाज में सहयोग और संतुलन बनाए रखती है।



निष्कर्ष

पितृपक्ष 2025 का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि इसकी शुरुआत और समापन दोनों ग्रहण के साथ होंगे। यह विशेष योग हमें यह अवसर देता है कि हम श्रद्धा, संयम और सेवा भाव से अपने पितरों का स्मरण करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को सुख-समृद्धि से भरें।

पितृपक्ष हमें यह संदेश देता है कि हम चाहे कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएँ, अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़कर ही हम अपनी पहचान और संस्कृति को जीवित रख सकते हैं।

👉 भक्ति और ज्ञान की और बातें जानने के लिए :

यहाँ दबाएँ


hindu calendarnewsReligion
Mayank Sri

Website: http://mahakaltemple.com

Related Story
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025
माँ ब्रह्मचारिणी
news
नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
Mayank Sri Sep 23, 2025
नवरात्रि
news
नवरात्रि का पहला दिन: करें माँ शैलपुत्री की पूजा
Mayank Sri Sep 22, 2025
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्
news
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् | ‘अयि गिरिनन्दिनी…’ आदि शंकराचार्य कृत माँ दुर्गा की स्तुति
Mayank Sri Sep 21, 2025
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
news
श्री हनुमान साठिका : संकटमोचन का दिव्य स्तोत्र
Mayank Sri Sep 21, 2025
नवरात्रि 2025
news
नवरात्रि 2025: व्रत और कलश स्थापना की पूरी विधि
Mayank Sri Sep 20, 2025
शिव
news
क्यों शिव बने नटराज: जानिए तांडव के पीछे का आध्यात्मिक संदेश
Mayank Sri Sep 19, 2025

Leave a Reply
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MAY HAVE MISSED
Navratri 4th Day : maa kushmanda
news
Navratri 4th Day : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 25, 2025
news
माँ ब्रह्मचारिणी : तपस्या और साधना का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
माँ चंद्रघंटा : शक्ति का दिव्य स्वरूप
Pinki Mishra Sep 24, 2025
news
नवरात्रि का तीसरा दिन: जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्र
Mayank Sri Sep 23, 2025