भारत में करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, समर्पण और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएँ पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चाँद का दर्शन कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह पर्व उत्तर भारत के राज्यों — पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश — में विशेष रूप से मनाया जाता है।
करवा चौथ 2025 की तारीख और तिथि
तारीख: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर, रात 10:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर, रात 9:10 बजे
करवा चौथ 2025 में चाँद निकलने का समय
करवा चौथ 2025 के दिन चाँद रात 8 बजकर 13 मिनट पर निकलेगा।
यानी व्रत खोलने का शुभ समय चंद्रोदय के बाद, यानी लगभग 8:13 PM के बाद होगा।
ध्यान दें कि यह समय दिल्ली और आसपास के इलाकों के लिए है।
अन्य शहरों में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है — जैसे लखनऊ में 8:09 PM और जयपुर में लगभग 8:16 PM।
पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
- सर्गी (सुबह का भोजन):
सूर्योदय से पहले सास अपनी बहू को सर्गी देती हैं। इसमें फल, मेवे, मिठाई, पराठे और हलवा जैसे ऊर्जावान व्यंजन शामिल होते हैं। यही दिन भर की ऊर्जा का स्रोत होता है। - व्रत का आरंभ:
सूर्योदय के बाद महिलाएँ अन्न और जल त्यागकर निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत चाँद निकलने तक चलता है। - श्रृंगार और संध्या पूजा की तैयारी:
शाम को महिलाएँ स्नान करके सुहाग का श्रृंगार करती हैं — लाल साड़ी, बिंदी, मेहंदी, चूड़ियाँ, बिछुए और सिंदूर लगाती हैं।
फिर वे पूजा की थाली सजाती हैं जिसमें दीपक, करवा (मिट्टी का घड़ा), मिठाई, चावल, फूल और जल रखा जाता है। - करवा चौथ कथा:
महिलाएँ एक साथ बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा में रानी वीरवती की कहानी सुनाई जाती है, जो अपने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं। - चाँद निकलने पर पूजा:
रात 8 बजकर 13 मिनट पर जब चाँद निकलता है, तब महिलाएँ छलनी से पहले चाँद को और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं।
इसके बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पण) देती हैं और अपने पति के हाथों से पहला जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ व्रत कथा (संक्षेप में)
कहानी के अनुसार, रानी वीरवती अपने भाइयों के बहकावे में आकर चाँद निकलने से पहले ही व्रत तोड़ देती हैं।
इस कारण उनके पति की मृत्यु हो जाती है।
रानी अपने तप और भक्ति से देवी पार्वती को प्रसन्न करती हैं, और उनके आशीर्वाद से उनके पति को पुनः जीवन मिलता है।
तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु और दांपत्य सुख के लिए किया जाने लगा।
करवा चौथ का महत्व
- यह पर्व प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
- व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच का बंधन और भी मजबूत होता है।
- यह आत्म-संयम, समर्पण और आध्यात्मिक साधना का सुंदर उदाहरण है।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2025 का यह पर्व नारी शक्ति, प्रेम और आस्था का उत्सव है।
जब रात के आसमान में 8 बजकर 13 मिनट पर चाँद उगता है, तो हर सुहागिन के चेहरे पर चमक आ जाती है — वह सिर्फ चाँद नहीं, बल्कि अपने प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक देख रही होती है।
इस करवा चौथ पर अपने प्रियजन के साथ इस पवित्र व्रत को मनाएँ और जीवन में खुशियाँ, प्रेम और समर्पण का दीप जलाएँ।
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