रात, 7 सितंबर 2025 को भारत समेत पूरी दुनिया एक अद्भुत खगोलीय घटना का साक्षी बनेगी—पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse)। यह वर्ष 2025 का पहला चंद्र ग्रहण है और इसकी खासियत यह है कि इस दौरान चाँद लाल रंग का दिखाई देगा, जिसे हम Blood Moon कहते हैं।
लोग अक्सर सवाल करते हैं – आखिर चाँद लाल क्यों हो जाता है? इसका धार्मिक महत्व क्या है? और हमें ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए?
आइए, इस ब्लॉग में इन्हीं सवालों का विस्तार से जवाब जानते हैं।
चंद्र ग्रहण क्या है?
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और उसे सूर्य का प्रकाश पूरी तरह नहीं मिल पाता। यही घटना चंद्र ग्रहण कहलाती है।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं:
1.आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) – जब चंद्रमा का केवल कुछ भाग पृथ्वी की छाया में आता है।
2.पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) – जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है।
3.उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse) – जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया (उपच्छाया) से होकर गुजरता है और हल्का धुंधला दिखाई देता है।
आज रात का ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण है। इसका अर्थ है कि चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया (Umbra) में होगा। इस दौरान वह लाल रंग का दिखेगा जिसे हम Blood Moon कहते हैं।
आज रात के ग्रहण का समय (भारतीय समयानुसार)
- ग्रहण शुरू (स्पर्श): रात 9:57 बजे
- पूर्ण ग्रहण (Blood Moon): रात 11:00 बजे से 11:41 बजे तक
- ग्रहण समाप्त (मोक्ष): 1:27 AM (8 सितंबर, सोमवार)
- कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 30 मिनट
👉 यह पूरा ग्रहण भारत में साफ़ तौर पर देखा जा सकेगा।
सूतक काल
हिंदू पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है।
- सूतक काल शुरू: आज दोपहर 12:57 बजे
- सूतक काल समाप्त: कल सुबह 1:27 बजे (ग्रहण समाप्ति के साथ)
सूतक काल में क्या न करें
- भोजन बनाना और खाना वर्जित है।
- मंदिरों के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की सलाह दी जाती है।
- शुभ कार्य और नए काम शुरू नहीं किए जाते भोजन बनाना और खाना वर्जित है।
- मंदिरों के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की सलाह दी जाती है।
- शुभ कार्य और नए काम शुरू नहीं किए जाते।
सूतक काल में क्या करें
- भगवान का नाम जपें।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
- मंत्रों का जाप और ध्यान करें।
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और दान करें।
चाँद लाल क्यों हो जाता है? (Blood Moon का वैज्ञानिक रहस्य)
जब चंद्र ग्रहण होता है तो पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। उस समय सूर्य की सीधी रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुँचती।
लेकिन पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की किरणों को मोड़ देता है (refraction) और केवल लाल रंग की किरणें ही चंद्रमा तक पहुँच पाती हैं।
इस वजह से चाँद हमें लाल रंग का दिखाई देता है, जिसे Blood Moon कहा जाता है।
👉 साधारण भाषा में कहें तो – चाँद लाल इसलिए दिखता है क्योंकि पृथ्वी का वातावरण नीली रोशनी को रोक देता है और केवल लाल रोशनी को गुजरने देता है।
धार्मिक मान्यताएँ
हिंदू धर्म में मान्यता है कि ग्रहण के समय राहु और केतु सूर्य या चंद्रमा को ग्रसते हैं। इस समय जप, तप और दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
- ग्रहण के बाद स्नान करने से पाप धुल जाते हैं।
- गरीबों को भोजन, कपड़े और धन का दान विशेष पुण्य देता है।
- तुलसी और कुशा को भोजन में रख देने से ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टि से यह ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है।
- इसे नंगी आँखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है।
- इस दौरान चंद्रमा की सतह और पृथ्वी के वातावरण का अध्ययन किया जाता है।
- “Blood Moon” का लाल रंग पृथ्वी के वातावरण में सूर्य की किरणों के बिखराव (scattering) से आता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- परिवार के साथ आकाश का यह अद्भुत नजारा देखें।
- टेलीस्कोप और कैमरे से इसे कैद करें।
- धार्मिक लोग इस समय मंत्र जप और ध्यान कर सकते हैं।
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें और दान दें।
क्या न करें
- भोजन पकाना और खाना खाने से बचें।
- गर्भवती महिलाएँ तेज़ या धारदार काम से परहेज़ करें।
- मंदिरों में पूजा-पाठ न करें।
Blood Moon के रोचक तथ्य
- हर साल कम से कम दो चंद्र ग्रहण जरूर होते हैं।
- हर पूर्ण चंद्र ग्रहण में चाँद का रंग लाल हो ही यह जरूरी नहीं, कई बार ताम्रवर्णी (copper red) भी दिखता है।
- इतिहास में Blood Moon को कई सभ्यताओं ने शगुन या अपशकुन माना।
- NASA इसे खगोलीय अध्ययन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में ग्रहण का समय आध्यात्मिक साधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
- इस समय किया गया मंत्र जाप कई गुना फलदायी होता है।
- ग्रहण के दौरान भगवान शिव और नारायण की आराधना विशेष फल देती है।
- ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान और तुलसी पत्र दान शुभ माना जाता है।
भोजन और ग्रहण
- ग्रहण से पहले बने खाने में तुलसी पत्ता डालने की परंपरा है।
- ऐसा करने से भोजन सुरक्षित और शुद्ध बना रहता है।
- ग्रहण के दौरान पका हुआ खाना त्याज्य माना जाता है।
2025 के अन्य ग्रहण
- 14 मार्च 2025: आंशिक सूर्य ग्रहण
- 14 मार्च 2025: आंशिक चंद्र ग्रहण
- 7 सितंबर 2025: पूर्ण चंद्र ग्रहण (आज का ग्रहण)
- 21 सितंबर 2025: आंशिक सूर्य ग्रहण
2025 का पहला चंद्र ग्रहण क्यों खास है?
- यह साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण है।
- भारत में यह पूरे समय स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
- यह ग्रहण Blood Moon का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करेगा।
- वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से यह ग्रहण बेहद महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
2025 का यह पहला चंद्र ग्रहण न सिर्फ खगोल विज्ञान के छात्रों और वैज्ञानिकों के लिए विशेष है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आज रात जब चाँद लाल रंग में बदल जाएगा, तो यह हमें ब्रह्मांड की अद्भुत और रहस्यमयी कार्यप्रणाली की याद दिलाएगा।
👉 तो तैयार रहिए इस खगोलीय नज़ारे का आनंद लेने के लिए।
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