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ॐ का जाप कैसे करें? विधि, महत्व और अद्भुत लाभ

Mayank Sri Aug 25, 2025 0

Table of Contents

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  • ॐ का जाप कैसे करें?
  • ॐ (ओम्) क्या है?
  • ॐ का शास्त्रीय महत्व
  • ॐ जप की सही विधि
  • ॐ जप के अद्भुत लाभ
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ॐ जप
  • ॐ जप में सावधानियाँ
  • दैनिक जीवन में ॐ जप का महत्व
  • उपनिषदों से जुड़ी मान्यता
  • निष्कर्ष

ॐ का जाप कैसे करें?

सनातन धर्म में ध्वनि और मंत्रों का अत्यधिक महत्व माना गया है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विस्तार और उसकी ऊर्जा को समझने के लिए ऋषियों ने ध्वनि की शक्ति का गहन अध्ययन किया। उनमें से सबसे शक्तिशाली और पवित्र ध्वनि है ॐ (ओम्)। वेदों और उपनिषदों में इसे प्रणव मंत्र कहा गया है।
कहा जाता है कि ॐ का उच्चारण मात्र ही साधक को ईश्वर के निकट ले जाता है, मन को शांत करता है और आत्मा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ देता है। यही कारण है कि ध्यान, योग और आध्यात्मिक साधना में ॐ का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

ॐ (ओम्) क्या है?

  • ॐ केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि ब्रह्मांड का मूल स्वर है।
  • उपनिषदों के अनुसार यह ध्वनि उस शक्ति का प्रतीक है जिससे सृष्टि की उत्पत्ति हुई।
  • ‘अ’ ‘उ’ और ‘म’ तीन ध्वनियों के मेल से ॐ बनता है।
    • ‘अ’ (A) सृष्टि या आरंभ का प्रतीक है।
    • ‘उ’ (U) पोषण और विस्तार का द्योतक है।
    • ‘म’ (M) संहार या लय का प्रतिनिधित्व करता है।

इस प्रकार ॐ सम्पूर्ण सृष्टि के तीनों पहलुओं – सृजन, पालन और संहार – को समाहित करता है।

ॐ का शास्त्रीय महत्व

  1. वेदों में उल्लेख – यजुर्वेद, सामवेद और ऋग्वेद सभी में ॐ को अत्यंत पवित्र ध्वनि माना गया है।
  2. भगवद्गीता – श्रीकृष्ण ने कहा है कि “मैं ही ॐ हूँ” – अर्थात यह ईश्वर का स्वयं स्वरूप है।
  3. मंडूक्य उपनिषद – इसमें कहा गया है कि ॐ ही सम्पूर्ण जगत है – भूत, वर्तमान और भविष्य।
  4. योगशास्त्र – पतंजलि योगसूत्रों में ॐ का जप ईश्वर की प्राप्ति का साधन बताया गया है।

ॐ जप की सही विधि

1. स्थान और समय

  • प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) ॐ जप का सबसे उत्तम समय माना जाता है।
  • एकांत, शांत और स्वच्छ स्थान का चुनाव करें।
  • चाहें तो मंदिर, ध्यान कक्ष या किसी शांत जगह पर बैठें।

2. आसन

  • सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में सीधे रीढ़ की हड्डी करके बैठें।
  • आँखें बंद रखें और हाथ ज्ञान मुद्रा में रखें।

3. श्वास और उच्चारण

  • गहरी सांस लें।
  • धीरे-धीरे “ॐ” का उच्चारण करें।
    • पहले ‘अ’ को गहरे स्वर में खींचें।
    • फिर ‘उ’ को होंठ गोल करके मध्यम स्वर में।
    • अंत में ‘म’ को होंठ बंद करके नासिका ध्वनि से उच्चारित करें।

4. अवधि

  • शुरुआत में 5 से 10 मिनट करें।
  • धीरे-धीरे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
  • 108 बार ॐ जप करने के लिए माला का उपयोग करें।

5. ध्यान

  • ध्वनि पर एकाग्र रहें।
  • मन को भटकने न दें और केवल ॐ की गूंज को सुनें।

ॐ जप के अद्भुत लाभ

1. मानसिक लाभ

  • तनाव और चिंता कम करता है।
  • अनिद्रा की समस्या दूर करता है।
  • मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।
  • अवसाद और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाता है।

2. शारीरिक लाभ

  • श्वसन प्रणाली मजबूत होती है।
  • रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • हृदय को स्वस्थ बनाता है।
  • तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को संतुलित करता है।
  • पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।

3. आध्यात्मिक लाभ

  • साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
  • ईश्वर से गहन जुड़ाव महसूस होता है।
  • चित्त की शुद्धि होती है।
  • आभामंडल (Aura) को शक्तिशाली बनाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ॐ जप

  • शोध में पाया गया है कि ॐ का उच्चारण करने से शरीर में कंपन उत्पन्न होते हैं, जो मस्तिष्क की तरंगों को अल्फा अवस्था में ले जाते हैं।
  • यह अवस्था ध्यान और गहरी शांति की स्थिति है।
  • हार्वर्ड और अन्य संस्थानों की रिपोर्ट में बताया गया है कि ॐ जप करने से तनाव हार्मोन (Cortisol) कम होता है।
  • दिल की धड़कन और सांस की गति संतुलित हो जाती है।

ॐ जप में सावधानियाँ

  1. जप हमेशा साफ और पवित्र मन से करें।
  2. ॐ का उच्चारण सही तरीके से करें – जल्दबाजी न करें।
  3. ध्वनि को बहुत तेज न बोलें, बल्कि सहज और गहरी आवाज में करें।
  4. प्रतिदिन एक निश्चित समय और स्थान पर अभ्यास करना अधिक लाभकारी है।

दैनिक जीवन में ॐ जप का महत्व

  • पढ़ाई करने से पहले ॐ जप करने से स्मरण शक्ति और ध्यान बढ़ता है।
  • ऑफिस या कामकाज से पहले करने से एकाग्रता और सकारात्मकता आती है।
  • योग और प्राणायाम के साथ ॐ जप करने से लाभ कई गुना हो जाते हैं।
  • पारिवारिक शांति और रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए सामूहिक ॐ जप बहुत प्रभावी है।

उपनिषदों से जुड़ी मान्यता

मंडूक्य उपनिषद कहता है –

  • “ॐ ही यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड है।”
  • यह भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों काल का प्रतीक है।
  • इसके पार जाने पर साधक को परम सत्य (ब्रह्म) की अनुभूति होती है।

निष्कर्ष

ॐ का जप केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह एक वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और मानसिक साधना है।
यह साधक को बाहरी अशांति से मुक्त करके अंदरूनी शांति प्रदान करता है।
नियमित रूप से ॐ का जप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, मानसिक शांति और ईश्वर से गहन जुड़ाव प्राप्त होता है।

इसलिए चाहे आप विद्यार्थी हों, गृहस्थ हों या साधक – प्रतिदिन ॐ का जप अवश्य करें।

Mayank Sri

Website: http://mahakaltemple.com

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