- आरंभ: शारदीय नवरात्रि 2025 सोमवार, 22 सितम्बर 2025 को प्रारम्भ हो रही है, जिसमें शुभ मुहूर्त—घटस्थापना (कलश स्थापना) सुबह 6:09 से 8:06 बजे और दोपहर 11:49 से 12:38 बजे के बीच हैं
- समापन: यह पर्व बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगा
- विजयादशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को विजयादशमी मनाई जाएगी Durga Kavach in Hindi : दुर्गा कवच पढ़ने से होता है मन शांत

नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भक्तिपरंपरा और शक्ति आराधना
नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ रातें’ (नव + रात्री)। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना का पर्व है—शक्ति के अनुयायी इन दिनों अर्ध-उपवास, मंत्र जाप, ध्वनि, पूजा और परेड-त्यौहारों के माध्यम से देवी का आह्वान करते हैं और आत्मशक्ति का उद्दीपन करते हैं
वृद्ध प्रदर्शन: विद्यात्मक और सामाजिक उत्सव
- गरबा और डांडिया: विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में रातों में गरबा-नृत्य और डांडिया की धूम रहती है, जो देवी-भक्ति का सांस्कृतिक रूप है
- मysuru (मैसूर)/कर्नाटक का दशहरा: नौ नवरात्रि के बाद दशहरा मनाने की विशिष्ट परंपरा है, जिसमें शस्त्र-पूजन, ‘गombe’ (डॉल) प्रदर्शनी और भव्य शोभायात्रा होती है Route & Travel Guide

शारदीय नवरात्रि 2025 के प्रत्येक दिन की पूजा का क्रम, देवी का रूप और रंग विशेष निम्नलिखित है:
दिन | तिथि | देवी के रूप | रंग (सार) |
---|---|---|---|
प्रथम-दिवस | 22 सितम्बर (सोमवार) | माँ शैलपुत्री (घटस्थापना) | सफेद / पीला |
द्वितीया | 23 सितम्बर (मंगलवार) | माँ ब्रह्मचारिणी | लाल / हरा |
तृतीया | 24 सितम्बर (बुधवार) | माँ चंद्रघंटा | नीला / ग्रे |
चतुर्थी | 25 सितम्बर (गुरुवार) | माँ कुष्मांडा | पीला / नारंगी |
पंचमी | 26 सितम्बर (शुक्रवार) | माँ स्कंदमाता | हरा / सफेद |
षष्ठी | 27 सितम्बर (शनिवार) | माँ कात्यायनी | लाल / ग्रे |
सप्तमी | 28 सितम्बर (रविवार) | माँ कालरात्रि | रोयल ब्लू / नारंगी |
अष्टमी | 29 सितम्बर (सोमवार) | माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी) | मोरहरा हरा / गुलाबी |
नवमी | 30 सितम्बर (मंगलवार) | माँ सिद्धिदात्री / महा नवमी | गुलाबी / पर्पल |
दशमी / समापन | 1 अक्टूबर (बुधवार) | विसर्जन / पराना | विविध (त्यौहारपूर्ण) |
🌸 नवरात्रि की नौ देवियाँ एवं उनके मंत्र
1. शैलपुत्री माता (पहला दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ॥
2. ब्रह्मचारिणी माता (दूसरा दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः ॥
3. चन्द्रघण्टा माता (तीसरा दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः ॥
4. कूष्माण्डा माता (चौथा दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः ॥
5. स्कन्दमाता माता (पाँचवाँ दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः ॥
6. कात्यायनी माता (छठा दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः ॥
7. कालरात्रि माता (सातवाँ दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः ॥
8. महागौरी माता (आठवाँ दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी महागौर्यै नमः ॥
9. सिद्धिदात्री माता (नवाँ दिन)
- मंत्र:
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः ॥

पूजा-संस्कार और परंपराएं
कलश प्रतिष्ठा (घटस्थापना)
पहले दिन सौभाग्य-प्रतीक कलश या घट स्थापित करके देवी के आगमन का आमंत्रण किया जाता है। यह स्थापना सुबह और दोपहर दोनों समय में संभव होती है, जैसा कि मुहूर्त बतलाया गया है
दिन-दर-दिन पूजा
- नवमी या अष्टमी पर विशेष पूजन जैसे संधि-पूजा, महा नवमी, सिद्धिदात्री पूजा आदि होते हैं
रंग परंपरा
प्रत्येक दिन एक विशेष रंग धारण करना शुभ माना जाता है, जो उस दिन की देवी रूप और ग्रह-वार से जुड़ा होता है (उदाहरण: प्रथम-दिवस: पीला या सफेद, द्वितीया: लाल, तृतीया: नीला आदि) ।Aarti & Puja Schedule
अन्य रीति-रिवाज
- ज्योति कलश: दीपक-युक्त कलश को नौ रातों तक जलाए रखा जाता है और अंतिम दिन नदी में विसर्जित किया जाता है ।
- गोलु प्रदर्शन (दक्षिण भारत): दक्षिण भारत में खास तौर पर गोलु या गोλου की परंपरा होती है—सुंदर पिरामिड-आकार की स्टूल पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं सजाई जाती हैं, और महिलाएं एक दूसरे के घर आमंत्रित करती हैं ।
सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष
- नृत्य-संगीत: गरबा, डांडिया, भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे नवरात्रि उत्सव का हिस्सा हैं—विशेषकर गुजरात, महाराष्ट्र में ।
- नागरिक जुड़ाव: पूजा-पंडाल, रंग-रंग कार्यक्रम, सामूहिक अगवानी और प्रसाद वितरण उत्सव को अधिक सामुदायिक रूप देते हैं।
- दशहरा जुलूस एवं सजावट: जैसे कुर्नाटक के मैसूर में दशहरा पर भवनों और मंदिरों की रोशनी, सांस्कृतिक परेड होती हैं।

नवरात्रि का मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव
इस नौ-रात्रि पर्व का सबसे गहरा उद्देश्य है अंतर्मुखी चिंतन और आध्यात्मिक जागृति। उपवास, ध्यान, प्रार्थना से न केवल धार्मिक शांति मिलती है, बल्कि मानसिक शुद्धि और सामाजिक संवेदनाAstrology
नवरात्रि सप्तशती के लाभ
देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) नवरात्रि में पढ़ने का विशेष महत्व है। यह ग्रंथ 700 श्लोकों से बना है, जिसमें माँ दुर्गा की महिमा, उनके अवतार और असुरों के विनाश की कथा वर्णित है। नवरात्रि के नौ दिनों में सप्तशती का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
नवरात्रि में सप्तशती पाठ के प्रमुख लाभ:
- माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति
सप्तशती के पाठ से साधक को माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जीवन की हर बाधा दूर होकर सुख-समृद्धि आती है। - भय और संकट से मुक्ति
इसका नियमित पाठ भय, रोग, शत्रु और विपत्तियों से रक्षा करता है। साधक का आत्मबल बढ़ता है और जीवन की कठिनाइयों से बाहर निकलने की शक्ति मिलती है। - धन-धान्य और समृद्धि
सप्तशती में वर्णित देवी महालक्ष्मी की स्तुति से साधक को धन-धान्य, ऐश्वर्य और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। - स्वास्थ्य लाभ
इसके पाठ से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। कई प्रकार के रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। - सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल
सप्तशती का पाठ वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है। साधक में आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है। - आध्यात्मिक उन्नति
यह साधक को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करता है। साधक के जीवन में भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक जागरण होता है। - परिवार की रक्षा
नवरात्रि में सप्तशती का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति, एकता और समृद्धि बनी रहती है। सभी प्रकार के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं।

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