प्रस्तावना
भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी, जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है, हजारों वर्षों से हिन्दू धर्म और संस्कृति का केंद्र रही है। इस नगर का हृदय है काशी विश्वनाथ मंदिर, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि मोक्ष और मुक्ति का द्वार माना जाता है। यहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं और गंगा स्नान के बाद भगवान विश्वनाथ के चरणों में आस्था अर्पित करते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
प्राचीन उत्पत्ति
- काशी विश्वनाथ का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और अन्य ग्रंथों में मिलता है।
- मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव ने काशी को अपनी नगरी के रूप में चुना और यहाँ विश्वनाथ के रूप में स्थापित हुए।
- इस स्थान को अनादि और अविनाशी कहा जाता है।
मध्यकालीन दौर
- ग्यारहवीं से सत्रहवीं शताब्दी तक मंदिर को कई बार आक्रमणकारियों ने ध्वस्त किया।
- 1194 ई. में मोहम्मद गोरी की सेना ने मंदिर को तोड़ा।
- उसके बाद भी यह बार-बार पुनर्निर्मित होता रहा।
औरंगज़ेब का समय
- 1669 में औरंगज़ेब ने मंदिर को पुनः ध्वस्त कर दिया और उसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया।
- मान्यता है कि जब मंदिर तोड़ा गया तो पुजारियों ने शिवलिंग को ज्ञानवापी कुएँ में सुरक्षित कर दिया था।
अहिल्याबाई होल्कर का पुनर्निर्माण
- 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
- बाद में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखरों को स्वर्ण से मंडित कराया।
स्थापत्य और वास्तुकलाMahakal Temple Ujjain – Darshan, Aarti & Online Puja
मंदिर की संरचना
- गर्भगृह में स्थापित है भगवान विश्वनाथ का शिवलिंग, जो काले पत्थर का बना है।
- मंदिर का शिखर स्वर्णमंडित है और दूर से ही चमकता दिखाई देता है।
- मुख्य गर्भगृह के चारों ओर छोटे-छोटे मंदिर हैं, जहाँ पार्वती, कार्तिकेय, गणेश आदि देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं।
ज्ञानवापी क्षेत्र
- मंदिर से सटे हुए स्थान पर है ज्ञानवापी कुआँ, जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।
- विश्वास है कि शिवलिंग यहीं सुरक्षित किया गया था।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
12 ज्योतिर्लिंगों में एक
- हिन्दू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग हैं और काशी विश्वनाथ उनमें से एक अत्यंत पूजनीय है।
- कहा जाता है कि यहाँ दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है।
मोक्ष की प्राप्ति
- मान्यता है कि काशी में मृत्यु होने पर सीधे मोक्ष मिलता है।
- स्वयं भगवान शिव मरने वाले के कान में ‘राम नाम सत्य है’ का उपदेश देते हैं और उसे मुक्ति दिलाते हैं।
गंगा से संबंध
- गंगा और विश्वनाथ का संबंध अविभाज्य है।
- गंगा में स्नान कर शिवलिंग पर जल चढ़ाना भक्तों के लिए सर्वोच्च पुण्य माना जाता है।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोरमहाकाल महालोक : 47 हेक्टेयर में फैला आध्यात्मिक वैभव और कला
परियोजना का उद्देश्य
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में काशी विश्वनाथ धाम परियोजना शुरू की गई।
- इसका उद्देश्य मंदिर और गंगा घाट के बीच सीधा और विशाल मार्ग बनाना था।
कॉरिडोर की विशेषताएँ
- विशाल आंगन, चौड़े मार्ग, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ।
- गंगा घाट से सीधे मंदिर तक जाने का मार्ग।
- मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण और ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण।
लाभ
- भीड़ प्रबंधन में सहूलियत।
- स्थानीय व्यापारियों और पर्यटन को बढ़ावा।
- वाराणसी की आध्यात्मिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करना।
साहित्य और संस्कृति में काशी
- संत कबीर, तुलसीदास, रैदास आदि संतों ने काशी को अपनी साधना भूमि बनाया।
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) और गंगा आरती जैसी परंपराएँ इस नगर को विशिष्ट बनाती हैं।
- संगीत, कला और साहित्य में काशी विश्वनाथ का नाम बार-बार आता है।
दर्शन और पूजा व्यवस्था
- प्रतिदिन मंगला आरती, भोग आरती, संध्या आरती और रात्रि शृंगार आरती होती है।
- श्रावण मास और महाशिवरात्रि के समय मंदिर में भक्तों की भीड़ लाखों में पहुँच जाती है।
- मंदिर ट्रस्ट द्वारा ऑनलाइन बुकिंग, प्रसाद सेवा और दान की व्यवस्था भी है।
काशी विश्वनाथ और आधुनिक समय
- कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर परिसर भव्य और विस्तृत हो गया है।
- अब यह केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र भी बन चुका है।
- प्रतिदिन देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं।
निष्कर्षNewsletter
काशी विश्वनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का संगम है। यहाँ की घंटियों की ध्वनि, गंगा की लहरें और विश्वनाथ का दिव्य शिवलिंग भक्तों को यह एहसास कराता है कि काशी वास्तव में मोक्ष की नगरी है। यह मंदिर भारतीय सभ्यता और सनातन धर्म की अमर धरोहर है, जो सदैव श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करती रहेगी।